Defence: आतंकवाद, महामारी और क्षेत्रीय संघर्षों के आज के दौर में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल एक विकल्प नहीं है, बल्कि अस्तित्व व प्रगति, जीवित रहने और आगे बढ़ने की शर्त है. यह संरक्षणवाद नहीं बल्कि संप्रभुता और राष्ट्रीय स्वायत्तता का प्रश्न है. शनिवार को नयी दिल्ली में ’21वीं सदी में युद्ध’ विषय पर एक रक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सम्मेलन इस मायने में महत्वपूर्ण है कि भारत के सशस्त्र बलों ने कुछ महीने पहले ही ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से वीरता का प्रदर्शन किया था. सम्मेलन में यह बात उभरकर सामने आयी कि भू-राजनीतिक बदलावों में रक्षा के लिए दूसरों पर निर्भरता अब कोई विकल्प नहीं है. क्योंकि संघर्ष, व्यापार युद्ध और अस्थिरता वैश्विक परिदृश्य को आकार दे रहे हैं.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर, तैयारी और आत्मनिर्भरता का उदाहरण है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का हमेशा से मानना रहा है कि एक आत्मनिर्भर भारत ही अपनी सामरिक स्वायत्तता की रक्षा कर सकता है. उन्होंने पाकिस्तान पर हुई ऑपरेशन सिंदूर की विजय का उल्लेख करते हुए कहा कि यह युद्ध कुछ दिनों का किस्सा भर नहीं था. इसके पीछे वर्षों की रणनीतिक तैयारी और स्वदेशी रक्षा उपकरणों पर भरोसे की बड़ी भूमिका रही. भारत के वीर जवानों ने सटीक प्रहार कर यह दिखा दिया कि दृष्टि, दीर्घ तैयारी और समन्वय के साथ किसी अभियान को सफल बनाया जा सकता है.
स्वदेशी एयरो इंजन परियोजना पर चल रहा है काम
रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ को भारत की भविष्य की सुरक्षा के लिए गेम-चेंजर करार देते हुए कहा कि इस मिशन के तहत अगले एक दशक में पूरे देश में वायु रक्षा कवच तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे सभी युद्धपोत अब भारत में ही बनाए जा रहे हैं. उन्नत हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों से लैस स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस हिमगिरि और आईएनएस उदयगिरि का हाल ही में जलावतरण हमारी नौसेना के विदेश से कोई भी युद्धपोत न खरीदने के संकल्प को दर्शाता है. ये जहाज विश्वस्तरीय हैं और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत को बढ़ाएंगे, साथ ही उन्होंने घोषणा की कि सरकार एक शक्तिशाली ‘स्वदेशी ‘एयरो-इंजन परियोजना’ पर तेजी से काम कर रही है.
राजनाथ सिंह ने कहा, रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता का परिणाम है कि भारत का रक्षा निर्यात 2014 में 700 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. रक्षा उत्पादन 1.5 लाख करोड़ रुपये के पार हो गया है, जिसमें 25 प्रतिशत योगदान निजी क्षेत्र का है. उन्होंने कहा, रक्षा अब केवल खर्च नहीं बल्कि रोजगार, नवाचार और औद्योगिक विकास का बड़ा साधन है. आत्मनिर्भर भारत रक्षा क्षेत्र में कोई नारा नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और प्रगति का रोडमैप है. आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपनी जरूरतें पूरी करेगा बल्कि दुनिया का विश्वसनीय साझेदार भी बनेगा.

