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क्या इस बार संसद का मानसून सत्र भी होगा वर्चुअल? सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं मिल रहा कोई विकल्प

संसद का मानसून सत्र जुलाई में शुरू होता है लेकिन इस साल कोरोना महामारी ने इस सत्र को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. सबसे बड़ा सवाल संसद में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने का है. संसद का आयोजन किस तरह से हो, इसे लेकर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच हुई बैठक में विचार किया गया.

संसद का मानसून सत्र जुलाई में शुरू होता है लेकिन इस साल कोरोना महामारी ने इस सत्र को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. सबसे बड़ा सवाल संसद में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने का है. संसद का आयोजन किस तरह से हो, इसे लेकर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच हुई बैठक में विचार किया गया.

उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार इसके मद्देनजर ही संसद के मानसून सत्र की वर्चुअल बैठक बुलाए जाने के पहलूओं पर विचार शुरू हो गया है. सूत्रों ने बताया कि बैठक में ये बात निकल कर सामने आई कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ राज्यसभा कक्ष में 245 के स्थान पर केवल 60 सांसद ही बैठ सकते हैं. वहीं लोकसभा और सेंट्रल हॉल में भी सभी सांसदों का बैठ पाना संभव नहीं हैं.

लोकसभा और सेंट्रल हॉल में 100 सांसद ही बैठ सकेंगे.बैठक में विज्ञान भवन पर भी विचार किया गया, लेकिन वहां भी सभी सांसदों को बैठा पाना संभव नहीं है. अगर दर्शक दीर्घा में भी कुछ सांसदों को बैठाया जाए तब भी सभी सांसद नहीं बैठ सकेंगे. विज्ञान भवन और सेंट्रल हॉल में पूरे दिन में एसी चलाने और साथ-साथ अनुवाद करने की सुविधा भी नहीं है.

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एक विकल्प ये भी

बैठक में इस विकल्प पर भी मंत्रणा की गयी कि लोकसभा व राज्यसभा की बैठकें अपने कक्ष में हों और केवल उन्हीं सदस्यों को आने की अनुमति दी जाए जिनकी उस दिन सदन की कार्यसूची से जुड़े मामले को देखते हुए उपस्थिति जरूरी है. इस विकल्प पर चर्चा के साथ ही नायडू और बिड़ला ने मानसून सत्र की वर्चुअल ऑनलाइन बैठक से जुड़े पहलूओं का अध्ययन करने का निर्देश दिया. हालांकि संसदीय समितियों की वर्चुअल बैठक तब तक संभव नहीं जब तक कि संसद के दोनों सदनों में इस बारे में प्रस्ताव पारित नहीं किया जाता.

ये भी है एक दिक्कत

हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर सरकार कोई विवादास्पद बिल लाती है, या भारतीय अर्थव्यवस्था के कोविड प्रबंधन जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है, तो क्या आपको लगता है कि विपक्षी सांसद कार्यवाही को ऑनलाइन देखेंगे? अगर किसी विधेयक पर मतदान होता है, तो सांसद कैसे भाग लेंगे?’

…..तो सितंबर तक का इंतजार 

भारतीय संसद के दो पूर्व अधिकारियों ने कहा कि सरकार को कोविड कर्व के फ्लैट होने ने का इंतजार करना चाहिए और उसके बाद ही सत्र आयोजित करने के बारे में सोचना चाहिए. उनमें से एक ने बताया कि भारतीय संविधान पिछले सत्र के अंतिम दिन और अगले संसद के पहले दिन के बीच छह महीने का अंतर रखने की अनुमति देता है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास मानसून सत्र आयोजित करने के लिए सितंबर तक का पर्याप्त समय है

Posted By: Utpal kant

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