Commerce & Industry: केंद्र सरकार निर्यात को प्रोत्साहित करने और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत बनाने के लिए व्यापक कदम उठा रही है. इसके तहत उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी), पीएम गति शक्ति और “जिला को निर्यात केंद्र” जैसी पहलों को तेज़ी से लागू किया जा रहा है. इन पहलों का उद्देश्य भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है. वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने मंगलवार को बताया कि सरकार ने हाल ही में 24 जुलाई 2025 को यूनाइटेड किंगडम के साथ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीइटीए) किया है. वहीं, भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा जारी है और इसे वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी हार्डवेयर, फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम और सोलर पीवी मॉड्यूल जैसे 14 क्षेत्रों में पीएलआई योजनाओं से उत्पादन और निवेश में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. मोबाइल फोन निर्यात 2014-15 के 1,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. वहीं फार्मा क्षेत्र में 2.66 लाख करोड़ रुपये की बिक्री हुई, जिसमें 1.70 लाख करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है.चिकित्सा उपकरणों में 21 परियोजनाओं के तहत एमआरआई, सीटी-स्कैन और हार्ट वाल्व जैसे हाई-टेक उपकरणों का निर्माण शुरू हुआ है.
निवेश और रोजगार सृजन में मददगार
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान से परिवहन सुगम हुआ है और लागत में कमी आई है. साथ ही औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को जोड़ते हुए निवेश और रोजगार सृजन में मददगार साबित हो रहा है. जिला निर्यात केंद्र पहल के तहत 590 जिलों के लिए निर्यात कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं, जिसमें स्थानीय उत्पादों और सेवाओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने पर जोर है.
सीमा पार ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 5 पायलट परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं. ये केंद्र सीमा शुल्क निकासी, गुणवत्ता प्रमाणन और पैकेजिंग जैसी सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराएंगे. सरकारी पहलों से कई क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता घटी है. उदाहरण के तौर पर, दवाओं के क्षेत्र में भारत 2021-22 में शुद्ध आयातक से शुद्ध निर्यातक बन गया.

