Amazing Facts about Bhagat Singh: भगत सिंह आजादी के ऐसे दीवाने थे, केंद्रीय असेंबली पर बम फेंकने, पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स की हत्या करने और काकोरी कांड को अंजाम देकर ब्रिटिश सरकार को परेशान कर दिया था. शहीद भगत सिंह को अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को जेल में फांसी दे दी थी. आज जबकि पूरा देश गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है हम इन शहीदों को नमन करते है, जिनके बदौलत हमें ये आजादी मिली.
भगत सिंह के बारे में कई कहानियां भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक बहुत ही खास है. जिस भगत सिंह ने हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ना स्वीकार किया उन्हें अंधेरे से बहुत डर लगता था. आजादी के लगभग 40 साल पहले इस आजादी के दीवाने का जन्म हुआ था. साल था 1907 तारीख थी 28 सितंबर, दिन था शनिवार. सुबह के 9 बज रहे थे. ठीक इसी वक्त सरकार किशन सिंह के घर किलकारी गूंजी. उनकी बहन बीबी अमर कौर ने एक बार बताया था कि भगत सिंह को अंधेरे से डर लगता था. आइए हम आपको उनके जीवन से जुड़ी एक खास बात बताते हैं जिसका जिक्र एमएम जुनेजा ने अपनी किताब बायोग्राफी ऑफ भगत सिंह में किया है.
भगत सिंह के जन्म के वक्त पिता थे जेल में
भगत सिंह का जब जन्म हुआ तो उनके पिता सरदार किशन सिंह और दोनों चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह जेल में बंद थे. अंग्रेजों ने उन्हें एंटी ब्रिटीश एक्टिविटी की वजह से सलाखों के पीछे डाल दिया गया था. भगत सिंह परिवार के लिए खुशहाली लेकर आए थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके जन्म के दो दिन के बाद उनके पिता को बेल मिली और वे जेल से छूट गए. उनके साथ एक भाई स्वर्ण सिंह भी जेल से बाहर आए. अब बारी दूसरे चाचा की थी. जनता के दबाव की वजह से अजीत सिंह को भी 11 नवंबर 1907 को जेल से रिहा किया गया.
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इस खुशी के वक्त भगत सिंह की दादी ने अपने मन की बात कही. जेल से छूटे तीनों बेटों को साथ देखकर उन्होंने कहा – ‘ ये बेटा भागां वाला है यानी नया बच्चा बहुत ही लकी है.’ इन शब्दों को सुनने के बाद भगत सिंह का नाम ‘भागां वाला’ रख दिया गया. यह नाम उनकी दादी सरदारनी जय कौर ने रखा. यही ‘भागां वाला’ बाद में चलकर भगत सिंह बना. उनके नाम का मतलब ‘महान देश भक्त’ होता है.
भगत सिंह को लगता था अंधेरे से डर
भगत सिंह एक एवरेज बच्चे की तरह ही थे. अंधेरे में वे घर से बाहर नहीं निकलते थे. उन्हें अंधेरे से डर लगता था. उनकी बहन बीबी अमर कौन की टिप्पणी का हवाला किताब में किया गया. वह कहतीं थी कि मैं और भगत सिंह दोनों ही रात के समय घर के बाहर जाने से डरते थे. पांच साल की उम्र में भगत सिंह का एडमिशन स्कूल में करवाया गया. भगत सिंह के स्कूल के दिनों की बात उनकी मां ने एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी. इस इंटरव्यू को 23 दिसंबर 1966 को जीएस गोयल ने लिया था. इसमें उनकी मां विद्यावती ने कहा था ‘ स्कूल में मेरे बेटे को सभी बहुत प्यार करते थे. वह तुरंत दोस्ती करने में माहिर थे. दोस्त और उसके सीनियर क्लास वाले उसे कंधे में उठाकर घर तक छोड़ जाते थे.’