Anti Sikh Riots: दिल्ली की विशेष अदालत ने वर्ष 1984 में सिख विरोधी दंगे के मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनायी है. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने आदेश पारित करते हुए कहा कि आरोपी के कुछ पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा देना सही नहीं होगा. जेल अधिकारियों की आरोपी के व्यवहार को लेकर सौंपी गयी रिपोर्ट और मेडिकल ग्राउंड के आधार पर सजा सुनाये जाने के फैसले पर कई पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए. आरोपी का समाज के विकास में अहम योगदान रहा है और आने वाले समय में पूर्व की गलतियों को सुधारने की संभावना है.
ऐसे में आरोपी को मृत्युदंड की सजा देना सही नहीं होगा. तमाम तथ्यों को गौर करने के बाद विशेष अदालत ने कुमार को उम्रकैद की सजा देने का फैसला सुनाया. गौरतलब है कि विशेष अदालत ने 21 फरवरी को सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. पीड़ित पक्ष ने सज्जन कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की थी.
क्या हैं आरोप
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत देश के कई शहरों में सिख विरोधी दंगा भड़क उठा था. इस मामले में दिल्ली में कांग्रेस के नेता रहे सज्जन कुमार पर दिल्ली के सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और उसके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या का आरोप लगा. इस मामले में मोदी सरकार के गठन के बाद एसआईटी का गठन किया गया और पीड़ित ने दंगे के मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ बयान दिया. इस बयान के आधार पर सज्जन कुमार के खिलाफ मामला चलाया गया और लंबी सुनवाई के बाद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया गया.
अदालत के इस फैसले के बाद कांग्रेस की मुश्किल बढ़ सकती है. सज्जन कुमार कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं और पार्टी पर आरोप लगता रहा है कि सिख दंगें के आरोपियों के खिलाफ कांग्रेस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस मामले में कांग्रेस के अन्य नेता जगदीश टाइटलर भी अदालती कार्रवाई का सामना कर रहे हैं.