Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को अपने समय के सबसे ज्ञानी और बुद्धिमान पुरुष के तौर पर भी जाना जाता है. मानवजाति की भलाई के लिए उन्होंने अपने जीवनकाल के दौरान कई तरह की बातें कहीं. उनकी इन्हीं बातों को आज के समय में हम चाणक्य नीति के नाम से भी जानते हैं. आचार्य चाणक्य ने अपनी इन्हीं नीतियों में दुश्मनों और दुश्मनी के बारे में भी कई तरह की बातें कहीं है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि हम सोचते हैं कि हमारा दुश्मन कौन है और वह हमारे खिलाफ आखिर खड़ा क्यों है? इसी सवाल का जवाब देते हुए भी उन्होंने कहा है कि दुश्मन बाहर से नहीं बल्कि हमारी ही कुछ गलतियों और आदतों की वजह से पैदा होते हैं. वे कहते हैं जब हम इन बातों को समझ लेते हैं तो किसी भी तरह की दुश्मनी और झगड़ा खत्म होने से पहले ही उसे खत्म कर सकते हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको इन्हीं गलतियों और आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी वजह से समाज में आपके दुश्मन बढ़ते चले जाते हैं.
अहंकार की वजह से होती है लोगों से दुश्मनी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आपका अहंकार या फिर घमंड ही आपके दुश्मन पैदा होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है. गर कोई इंसान अपने पोजीशन, पैसों, ताकत या फिर ज्ञान पर घमंड करता है तो वह अनजाने में ही खुद को दूसरों से बेहतर समझने लग जाता है. इस वजह से उसके बोलने का तरीका और उसका व्यवहार दूसरों को ठेस पहुंचाने लगता है. यह ठेस ही कारण है कि दूसरों के दिलों में आपके लिए धीरे-धीरे नफरत पैदा होने लगती है और आगे चलकर दुश्मनी का रूप ले लेती है. अगर आप चाहते हैं कि लोगों की आपसे दुश्मनी न हो तो ऐसे में आपको हमेशा दूसरों से विनम्रता से पेश आना चाहिए और उन्हें सम्मान भी देना चाहिए.
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बिना सोचे-समझे बोलना
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अक्सर आप अपनी बोली और भाषा की वजह से ही सबसे ज्यादा दुश्मन बना लेते हैं. उनके अनुसार गुस्से में, जल्दबाजी में या फिर मजाक में कही गयी बातें लोगों के दिलों को ठेस पहुंचाते हैं. कई बार हमारा एक छोटा सा लेकिन गलत शब्द किसी भी इंसान को इतनी गहराई तक चोट पहुंचाता है कि उसके अंदर हमारे लिए निगेटिव फीलिंग्स भर जाती है. आपके साथ ऐसा न हो इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हालात चाहे कैसे भी हो आपको सोच-समझकर ही कुछ बोलना चाहिए. शब्द भले ही छोटे हों लेकिन उसका असर सामने वाले के जीवन पर काफी गहरा असर छोड़ जाता है.
हद से ज्यादा भरोसा
आचार्य चाणक्य के अनुसार दुश्मनी होने के पीछे एक सबसे बड़ा कारण है किसी पर भी हद से ज्यादा भरोसा करना. जब हम किसी भी व्यक्ति पर पूरी तरह से आंखें मूंदकर भरोसा करने लगते हैं और उससे अपनी पर्सनल बातें, कमजोरियां या फिर सीक्रेट्स शेयर करते हैं तो यह भी कारण बनता है कि सामने वाला आपका गलत फायदा उठाता है. अगर आप किसी पर हद से ज्यादा भरोसा करते हैं तो यह भी आगे चलकर दुश्मनी का बड़ा कारण बनता है. आपके साथ ऐसा न हो इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी पर पूरा भरोसा करने से पहले अच्छे से सोच लें और सामने वाले को परख भी लें.
ईर्ष्या से पैदा होने लगते हैं दुश्मन
आचार्य चाणक्य के अनुसार आपकी सफलता, प्रतिष्ठा और तरक्की भी दुश्मन पैदा होने का कारण बन सकते हैं. कई बार जब कोई भी व्यक्ती हमें आगे बढ़ता देखता है तो उसके अंदर जलन की भावना बढ़ती है और वह मन ही मन हमसे नफरत करने लग जाता है. इस नफरत की वजह से भी दुश्मनी की शुरुआत होती है. आपके साथ ऐसा न हो इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आपको कभी भी बेवजह अपनी सफलता का दिखावा नहीं करना चाहिए और साथ ही अपने स्वभाव को भी एकदम शांत बनाकर रखना चाहिए.
गलत संगती से पैदा होते हैं दुश्मन
चाणक्य नीति के अनुसार कई बार ऐसा भी होता है कि दुश्मनी हमारी वजह से नहीं बल्कि हमारी संगति की वजह से होती है. अगर हम गलत या बुरी आदतों में फंसे हुए लोगों के साथ रहते हैं तो लोग हमें भी उनके जैसा ही समझने लगते हैं. इस तरह के लोगों के साथ रहने से समाज में हमारी छवि खराब होती है और हम अनजाने में दूसरों के लिए निगेटिव इंसान बन जाते हैं.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

