Agriculture: देश में उर्वरक की कमी को लेकर कई तरह की खबरें सामने आती रहती है. केंद्र सरकार की ओर से साफ कहा गया है कि देश में उर्वरक की कोई कमी नहीं है. किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक मौजूद है और कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर को देश के किसानों के लिए समय पर तय मात्रा में उर्वरक मुहैया कराने की जिम्मेदारी है. खरीफ और रबी मौसम के दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान मंत्रालय की ओर से राज्यों की जरूरत के अनुसार उर्वरक के उपलब्धता का आकलन किया जाता है और इसके अनुसार मंत्रालय की ओर से राज्यवार हर महीने उर्वरक की जरूरत की योजना जारी की जाती है.
रसायन व उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक पिछले एक दशक से देश में घरेलू उर्वरक उत्पादन में व्यापक बदलाव आया है. सरकार उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग बनाने का काम किया है ताकि खाद्य सुरक्षा को बनाया जा सके. सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि देश के यूरिया का उत्पादन वर्ष 2013-14 में 227.15 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2024-25 में 306.67 लाख मीट्रिक टन हो गया. इस दौरान यूरिया के उत्पादन में 35 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी. इसके अलावा डीएपी और एनपीके उर्वरक का उत्पादन इस दौरान 110.09 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 158.78 लाख मीट्रिक टन हो गया और इसके उत्पादन में 44 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी. सरकार उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई स्तर पर प्रयास कर रही है.
वैश्विक हालात से उर्वरक की आपूर्ति पर पड़ा असर
वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के बीच तनाव के कारण देश में उर्वरक की आपूर्ति पर असर पड़ा. लाल सागर में संकट के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई और उर्वरक के लिए अन्य मार्ग का उपयोग करना पड़ा. इससे सामान की आपूर्ति के लिए 6500 किलोमीटर अधिक की यात्रा तय करनी पड़ी और सामान की कीमतों में वृद्धि हुई. इसके अलावा रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान युद्ध के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की कीमत में बढ़ोतरी देखी गई. इस चुनौतियों के बीच भारत सरकार की ओर से उर्वरकों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए शानदार प्रयास किए गए और इसके लिए कूटनीतिक संवाद, लॉजिस्टिक संकट को दूर करने और दीर्घकालिक उपायों को अपनाया गया.
सरकार ने उर्वरकों की कीमत को स्थिर करने के लिए मोरक्को, सऊदी अरब जैसे देशों के साथ समझौता किया. सरकार के प्रयासों के कारण देश में उर्वरकों की कीमत स्थिर रखने में मदद मिली. देश में 143 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने 183 लाख टन मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने का काम किया. उसी तरह डीएपी और अन्य उर्वरकों की उपलब्धता भी मांग से अधिक करने का काम किया गया. देश के किसानों को उर्वरकों की कीमतों से बचाने के लिए सरकार सब्सिडी मुहैया कराने का काम कर रही है. यूरिया और अन्य उर्वरक किसानों को काफी कम कीमत पर मुहैया कराया जा रहा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें काफी अधिक हैं.

