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गोवा में भाजपा विधायक हो चुके थे मायूस, गडकरी और शाह के कॉल ने बनायी सरकार

मुंबई: बीते 11 मार्च की शाम भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को किए गए एक फोन ने ऐसी हलचल पैदा की जो आखिरकार गोवा में पार्टी की सरकार बनने पर ही शांत हुई. पार्टी ने ऐसे विधायकों का भी समर्थन जुटा लिया जिन्होंने उसके खिलाफ चुनाव लडा था और […]

मुंबई: बीते 11 मार्च की शाम भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को किए गए एक फोन ने ऐसी हलचल पैदा की जो आखिरकार गोवा में पार्टी की सरकार बनने पर ही शांत हुई. पार्टी ने ऐसे विधायकों का भी समर्थन जुटा लिया जिन्होंने उसके खिलाफ चुनाव लडा था और फिर मनोहर पर्रिकर ने राज्य विधानसभा में बहुमत साबित भी कर दिया. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पार्टी की शानदार जीत के जश्न के बीच शाह ने गोवा में भी सरकार बनाने की ठानी. गोवा में भाजपा सबसे बडी पार्टी भी नहीं बन सकी थी. कांग्रेस को 17 जबकि भाजपा को महज 13 सीटें हासिल हुई. शाह की ओर से देर शाम गडकरी को किए गए फोन के बाद केंद्रीय मंत्री गोवा रवाना हुए और रात भर सरकार बनाने से जुडे पहलुओं पर उन्होंने चर्चा की. दूसरे दिन सुबह के वक्त ही किसी समझौते पर पहुंचा जा सका.

गडकरी ने यहां पत्रकारों को बताया, ‘‘जब नतीजे आए तो पार्टी अध्यक्ष (अमित शाह) ने मुझे फोन किया और मुझे मिलने के लिए बुलाया. मैंने कहा कि मैं ही आपके यहां आता हूं और हमने 30-45 मिनट में उनके आवास पर मिलने का फैसला किया.’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘शाम के सात बज रहे थे. हमने गोवा के राजनीतिक हालात पर विस्तार से चर्चा की. हमारे पास सिर्फ 13 विधायक थे. मैंने उन्हें बताया कि हमारे पास अपेक्षित संख्याबल नहीं है.’ बहरहाल, शाह जवाब में ‘नहीं’ सुनना पसंद नहीं करते और उन्होंने जोर दिया कि गडकरी कोशिश करके देखें. गोवा की भाजपा इकाई के प्रभारी गडकरी ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझसे कहा कि हमें सरकार बनानी है और मुझसे तुरंत गोवा जाने को कहा.’ जल्द ही गडकरी पणजी जाने वाले विमान में सवार थे. बहरहाल, वहां भी मायूसी का माहौल था.
गडकरी ने कहा, ‘‘गोवा में नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुझे बताया कि रक्षा मंत्रालय छोड़कर गोवा वापस आना मनोहर पर्रिकर के लिए उचित नहीं होगा. मैंने पर्रिकर से भी बात की.’ इसके बाद पूर्व भाजपा अध्यक्ष गडकरी पूरी रात सो नहीं पाए. संभावित गठबंधन साझेदारों ने समर्थन देने की इच्छा जाहिर की, लेकिन शर्त रखी कि मुख्यमंत्री पर्रिकर ही होने चाहिएं. गडकरी ने कहा, ‘‘रात करीब डेढ बजे एमजीपी के सुदीन धवलिकर ने मुझसे मुलाकात की. मैं उन्हें काफी लंबे समय से जानता हूं और हमने चर्चा की. उन्होंने हमें समर्थन देने का भरोसा जताया. गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विजय सरदेसाई भी मुझसे मिलने आए.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘तडके पांच बजे उन्होंने (एमजीपी और जीएफपी ने) एक शर्त रखी कि वे भाजपा का समर्थन तभी करेंगे जब पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाया जाए.’ चूंकि पर्रिकर की गोवा वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी जरुरी थी, तो 12 मार्च की सुबह 5:15 बजे शाह को जगाया गया. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अमित शाह को सुबह 5:15 में जगाया और उन्हें यह बात बताई. मैंने उन्हें बताया कि मैं तय नहीं कर पा रहा हूं और उनसे सलाह मांगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अभी सो रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री को सुबह सात बजे फोन करेंगे.’ गडकरी ने कहा, ‘‘उन्होंने (शाह ने) कहा कि यदि पर्रिकर को गोवा भेजा जाना है तो भाजपा संसदीय दल को फैसला करना होगा और उनकी :पर्रिकर की: इच्छा पर भी विचार करना होगा.
‘ केंद्रीय मंत्री को राहत तब मिली जब सुबह 8:30 बजे शाह ने उन्हें फोन किया और बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री और कुछ नेताओं से बात की और ‘‘सभी ने कहा कि यदि हम गोवा में सरकार बना सकते हैं और यदि पर्रिकर तैयार हैं तो हमें ऐसा करना चाहिए.’ पर्रिकर को गोवा वापसी के लिए मनाना काफी आसान रहा क्योंकि वह अक्सर कहा करते हैं कि दिल्ली में उनके दोस्त नहीं हैं और उन्हें गोवा के खाने की कमी खलती है. एमजीपी, जीएफपी और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन पत्रों से लैस होकर पर्रिकर ने उसी रात सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. आज पर्रिकर ने विधानसभा में बहुमत भी साबित कर दिया

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