नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाल लिया. इससे पहले 2014 में भी छह महीने तक उनके पास दोनों कार्यभार थे. गोवा का मुख्यमंत्री बनने के लिए मनोहर पर्रिकर द्वारा रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद कल जेटली को रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया था.
मोदी कैबिनेट में वरिष्ठतम मंत्रियों में से एक जेटली 26 मई 2014 से लेकर नौ नवंबर 2014 तक भी रक्षा मंत्रालय के प्रभारी रहे थे. इसके बाद पर्रिकर को गोवा से लाकर रक्षा मंत्री बनाया गया था. रक्षा मंत्री के रुप में पर्रिकर के कार्यकाल में रक्षा सौदों में अडचनें दूर हुईं और खरीद प्रक्रिया सरल हुई. राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति में कल कहा गया कि प्रधानमंत्री की सलाह के अनुरुप राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि जेटली अपने वर्तमान पद के अतिरिक्त रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी संभालेंगे.
यह स्पष्ट नहीं है कि जेटली कब तक दोनों महत्वपूर्ण पदों के प्रभारी रहेंगे. रक्षा मंत्री के रुप में पर्रिकर के कार्यकाल में हुए सौदों में अमेरिकी उड्डयन कंपनी बोइंग और अमेरिका सरकार से 21 अपाचे लडाकू हेलीकॉप्टरों तथा 15 चिनूक हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टरों की खरीद शामिल है.
पिछले साल, पर्रिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने अमेरिका से करीब पांच हजार करोड़ रुपये की लागत वाली अत्यंत हल्की होवित्जर तोपों की खरीद और 18 धनुष तोपों के व्यापक उत्पादन को मंजूरी दे दी थी. बोफोर्स घोटाले के तीन दशकों में इस तरह की हथियार प्रणाली की यह पहली खरीद थी और इस सौदे में काफी विलंब हो गया था.
पर्रिकर गत वर्ष मार्च में एक नयी रक्षा खरीद नीति लेकर आए थे जिसका उद्देश्य रक्षा सौदों में पारदर्शिता, त्वरित खरीद प्रक्रिया और रक्षा खरीद का स्वदेशीकरण सुनिश्चित करना था. भारत ने पिछले साल सितंबर में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम तथा आधुनिकतम मिसाइलों से लैस 36 राफेल लडाकू विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ करीब 59 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया था.
सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर पर्रिकर ने कड़ा रुख अपनाया और पिछले साल सितंबर में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लक्षित हमले कर कई आतंकवादियों को ढेर कर दिया. गोवा भाजपा ने रविवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्रीय नेतृत्व से पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने का आग्रह किया था. भाजपा के संभावित सहयोगियों ने भी समर्थन देने के लिए पर्रिकर की वापसी की पूर्व शर्त रखी थी.
आईआईटी (बंबई) से पढ़े पर्रिकर ने कुछ समय पहले कहा था कि वह अब तक राष्ट्रीय राजधानी में खुद को ‘‘ढाल” नहीं पाए हैं. उन्होंने गोवा के अपनी पसंद होने का संकेत देते हुए कहा था कि वह कभी भी ‘‘दिल्ली के राजनीतिक नेता” नहीं हो सकते.