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पनीरसेल्वम ने बगावत की, बोले, धमकी के कारण उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दिया

चेन्नई :तमिलनाडु में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी के साथ बदलता जा रहा है. वी के शशिकला के मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेने पर एक ओर जहां अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है वहीं दूसरी ओर मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के बाद ओ. पनीरसेल्वम अब बागी तेवर अपना लिया है. पनीरसेल्वम अचानक मरीना बीच स्थित […]

चेन्नई :तमिलनाडु में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी के साथ बदलता जा रहा है. वी के शशिकला के मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेने पर एक ओर जहां अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है वहीं दूसरी ओर मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के बाद ओ. पनीरसेल्वम अब बागी तेवर अपना लिया है. पनीरसेल्वम अचानक मरीना बीच स्थित दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की समाधि पर अकेले ध्यान में बैठ गये.

इसके बाद उन्‍होंने शशिकला पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, धमकी दी गई इसलिए उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री का पद छोड़ा. उन्‍होंने कहा, अम्‍मा के दिखाए गये राह पर वो बिना कोई परेशानियों के चलते रहे और अपने कर्तव्‍यों का पालन करता गया. उन्‍होंने कहा, जब अम्‍मा (जयललिता) अस्‍पताल में भरती थीं तो उन्‍होंने मुझसे पूछा था मुख्‍यमंत्री बनने के बारे में. मैंने मुख्‍यमंत्री का पद संभाला, लेकिन लगातार मैं अपमानित होता रहा. ओ. पनीरसेल्वम ने कहा, पार्टी की ओर से उनपर मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने का दबाव दिया गया.यदि जनता और पार्टी कार्यकर्ता चाहें तो, मैं इस्तीफा वापस ले सकता हूं.मुख्यमंत्री उसी को बनना चाहिए जो पार्टी और सरकार दोनों की सुरक्षा कर सके, फिर चाहे वह मैं ना होऊं.

इसके उलट आज भी अन्नाद्रमुक और बागी नेताओं के बीच जे जयललिता की मृत्यु को लेकर आरोप प्रत्यारोप जारी रहा. राज्यपाल विद्यासागर राव की योजना को लेकर अनिश्चितता के मद्देनजर अन्नाद्रमुक ने इस बात पर जोर दिया कि शशिकला को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाना राज्यपाल का संवैधानिक दायित्व है और इसे रोकने का कोई आधार नहीं है.

मुम्बई में राजभवन सूत्रों ने बताया कि राव मुंबई में हैं और फिलहाल चेन्नई जाने की उनकी कोई योजना नहीं है. सूत्रों ने यह संकेत दिया कि वह कल कोई निर्णय कर सकते हैं. राव महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और वह तमिलनाडु का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं.
शशिकला एवं अन्य के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा अगले सप्ताह फैसला देने की उम्मीद के बीच राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई है क्योंकि विपक्षी दलों ने शशिकला को मुख्यमंत्री बनाने के कदम पर निशाना साधा. वहीं अन्नाद्रमुक ने शशिकला का मजबूती से बचाव किया. आज पूर्व विधानसभाध्यक्ष पी. एच. पांडियन और उनके पुत्र एवं अन्नाद्रमुक पदाधिकारी मनोज ने जे. जयललिता की मृत्यु पर आज संदेह व्यक्त किया और आरोप लगाया कि उनके पोयेस गार्डन आवास पर एक झगडा हुआ था जिस दौरान उन्हें ‘‘नीचे धक्का दे दिया गया’ और वह बेहोश हो गईं. इसके बाद उन्हें 22 सितम्बर को अस्पताल में भर्ती कराया गया. पांडियन ने इसके साथ ही जयललिता की निकट सहयोगी वी. के. शशिकला को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनाये जाने का भी कडा विरोध किया.
अन्नाद्रमुक ने अपने दो शीर्ष नेताओं पी रामचंद्रन और के ए सेनगोतैयां को लगाया जिन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन किया जिसमें उन्होंने पांडियन के आरोपों को खारिज किया और उन्हें एक ‘‘विश्वासघाती’ बताया जो ‘‘भ्रम’ उत्पन्न कर रहे हैं. रामचंद्रन ने इस बात पर जोर दिया कि शशिकला का उन्नयन पार्टी नियमों के अनुरुप है और यह वैध है. उन्होंने कहा, ‘‘महासचिव प्रभारी की नियुक्ति हो सकती है.’
एमजीआर कैबिनेट में मंत्री रहे रामचंद्रन ने कहा, ‘‘शशिकला को शपथ दिलाना राज्यपाल का संवैधानिक दायित्व है. इसे रोकने का कोई आधार नहीं है. कोई भी इसे रोक नहीं सकता.’ शशिकला के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का विरोध करते हुए दायर जनहित याचिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अदालत उस याचिका को खारिज कर सकती है, वह राज्यपाल के कर्तव्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
अन्नाद्रमुक मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन जयललिता की मृत्यु को लेकर अफवाहों एवं अटकलों को खारिज करने के लिए बुलाया गया था, विशेष तौर पर पांडियन के संवाददाताओं को संबोधित करने के मद्देनजर. पांडियन ने दावा किया कि शशिकला का उन्नयन पार्टी नियमों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी प्रमुख या मुख्यमंत्री बनने का कोई आधार नहीं है. शशिकला को अन्नाद्रमुक विधायक दल का नेता चुने जाने और उनके मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त होने के दो दिन बाद पांडियन ने कहा, ‘‘शशिकला न तो पार्टी प्रमुख बनने लायक हैं और न ही मुख्यमंत्री.’ उन्होंने दावा किया कि जयललिता के निधन के 20 दिन के भीतर पार्टी के नेताओं से ‘‘कहलवाया गया’ कि वे चाहते हैं कि शशिकला पार्टी प्रमुख बनें.
उन्होंने शशिकला को अन्नाद्रमुक प्रमुख बनाने का कडा विरोध करते हुए कहा कि यह पार्टी नियमों के खिलाफ है. ‘‘केवल पार्टी काडर ही महासचिव चुन सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी के नियमों का उल्लंघन करते हुए कोई भी महासचिव नहीं बन सकता. यदि ऐसा किया गया है तो यह टिकाउ नहीं है.’
जयललिता की मृत्यु को लेकर आज तब एक नया मोड आ गया जब पांडियन ने यह आरोप लगाते हुए षड्यंत्र का संदेह जताया कि उनकी मृत्यु अप्राकृतिक थी. उन्होंने जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराये जाने की भी जांच की मांग की. जयललिता को 22 सितम्बर को चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 75 दिन के इलाज के बाद पांच दिसम्बर को उनका निधन हो गया.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘22 सितम्बर की रात में घर के लोगों के बीच बहस हुई. वह परिवार के दूसरे पक्ष (शशिकला के परिवार) और जयललिता के बीच हुई और उन्हें नीचे धक्का दे दिया गया. वह नीचे गिर गईं और बेहोश हो गईं.’ उन्होंने कहा, ‘‘यह दूसरे दिन अखबारों में प्रकाशित हुआ.’ पांडियन द्वारा जयललिता की मृत्यु पर कुछ संदेह जताते के बारे में रामचंद्रन ने सवाल किया, ‘‘सबूत क्या है? क्या उन्होंने कोई सबूत दिखाया?’ उन्होंने कहा कि केवल चिकित्सक ऐसे मुद्दों पर बोलने के लिए सक्षम प्राधिकार हैं. रामचंद्रन ने कहा, ‘‘उन्होंने ऐसा कुछ (संदिग्ध मुत्यु का संकेत देने वाला) नहीं कहा है.’

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