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कांग्रेस नेता एन डी तिवारी ने अमित शाह से की मुलाकात, भाजपा का समर्थन किया

नयी दिल्ली : कांग्रेस को करारा झटका देते हुए पार्टी के वयोवृद्ध नेता और उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके नारायण दत्त तिवारी ने उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करने का फैसला किया है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के दौरान तिवारी ने यह बात कही. शाह से […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस को करारा झटका देते हुए पार्टी के वयोवृद्ध नेता और उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके नारायण दत्त तिवारी ने उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करने का फैसला किया है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के दौरान तिवारी ने यह बात कही. शाह से मुलाकात के वक्त 91 साल के तिवारी के साथ उनके बेटे रोहित शेखर तिवारी और पत्नी उज्ज्वला तिवारी भी थीं. रोहित खुद को राजनीतिक तौर पर स्थापित करने की कोशिश में हैं.

यूं तो तिवारी राजनीतिक तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं हैं, लेकिन भाजपा को उनकी ओर से समर्थन दिए जाने के निर्णय को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भगवा पार्टी के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है. उत्तराखंड में 15 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं.

तिवारी के बेटे रोहित शेखर ने बताया, ‘‘भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान हमने उन्हें अपने समर्थन की पेशकश की. अब यह उन पर निर्भर करता है कि वह हमारा इस्तेमाल कैसे करते हैं. मेरे पिता ने उन्हें आशीर्वाद दिया.” यह पूछे जाने पर कि उनके पिता ने कांग्रेस छोड़ने का फैसला क्यों किया, इस पर रोहित ने कहा कि पार्टी ने पूरी तरह उनकी अनदेखी कर दी थी. उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आपने कांग्रेस के किसी पोस्टर में कभी उनकी तस्वीर देखी ?” उत्तराखंड में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ चुके हैं.
भाजपा ने इनमें से कई नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है. भाजपा ने कुछ सीटों पर अभी अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं और यह देखना होगा कि पार्टी तिवारी के किसी रिश्तेदार को टिकट देती है कि नहीं. तिवारी के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब उत्तराखंड के सभी पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा में शामिल हो चुके हैं जबकि मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य में कांग्रेस की अगुवाई कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के भी मुख्यमंत्री रह चुके तिवारी पूरी जिंदगी कांग्रेस में रहे. हालांकि, जब दिवंगत प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव कांग्रेस के अध्यक्ष थे, उस वक्त सोनिया गांधी से वफादारी जताने वाले कुछ नेताओं के साथ वह कुछ समय के लिए पार्टी से अलग हो गए और कांग्रेस (तिवारी) का गठन कर लिया. उस वक्त तक सोनिया राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं हुई थीं.

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