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शीतकालीन सत्र : नोटबंदी का एक महीना पूरा, विपक्षी दल मना रहे हैं ”ब्लैक डे”

नयी दिल्ली: सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर संसद के दोनो सदनों में गुरुवार को भी संग्राम जारी रह सकता है. राज्यसभा में कल कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद और वित्त मंत्री के बीच हुई नोक-झोंक हुई जिसका प्रभाव आज कार्यवाही पर पड़ने के आसार हैं. बुधवार को सरकार और विपक्ष के नेताओं के […]

नयी दिल्ली: सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर संसद के दोनो सदनों में गुरुवार को भी संग्राम जारी रह सकता है. राज्यसभा में कल कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद और वित्त मंत्री के बीच हुई नोक-झोंक हुई जिसका प्रभाव आज कार्यवाही पर पड़ने के आसार हैं. बुधवार को सरकार और विपक्ष के नेताओं के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए बातचीत भी हुई. इधर, विपक्षी दल आज सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले फिर बैठक करेंगे जिसमे आगे का रुख तय किया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर, विपक्ष ने यह भी ऐलान किया है कि नोटबंदी का एक महीना पूरा होने पर विपक्षी दल संसद में काला दिवस मनाएंगे. विपक्षी दलों के सांसद काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे. आपको बता दें कि नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में बुधवार को भी गतिरोध कायम रहा तथा विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की बैठक दो-दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी. जहां विपक्षी सांसदों ने सदन में ‘हिम्मत है तो मोदी लाओ’ के नारे लगाये, वहीं इसके पलटवार में भाजपा सांसदों ने ‘हिम्मत है तो चर्चा करो’ के नारे लगाये.

इससे पहले, भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर जम कर हमला बोला. मोदी ने कहा कि संसद में पिछले कई दशकों में सरकार के विभिन्न फैसलों पर चर्चा हुई है, जो समाज पर प्रभाव डालनेवाले रहे हैं, लेकिन अब नोटबंदी जैसे रचनात्मक निर्णय पर विपक्षी दल सदन में गतिरोध पैदा कर रहे हैं. संसद में चर्चा नहीं होने देना अलोकतांत्रिक है. उन्होंने कहा कि विपक्ष नोटबंदी पर चर्चा में रुचि नहीं दिखा रहा है. उन्होंने पार्टी के सदस्यों से कहा कि वे लोगों को जानकारी दें कि विपक्ष दल चर्चा से भाग रहे हैं. उनकी रुचि इसमें नहीं है.

बैठक में भाजपा संसदीय दल ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें विपक्षी दलों की निंदा की गयी है और आरोप लगाया गया कि वे (विपक्ष) ‘गोल पोस्ट’ बदल रहे हैं. इस प्रस्ताव को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पेश किया और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका अनुमोदन किया. प्रस्ताव में कांग्रेस और तृधमूल के नाम का उल्लेख है.

सिर्फ टीवी का मुद्दा बनाना चाहता है विपक्ष

अरुण जेटली ने कहा कि जिस दिन सत्र शुरू हुआ, उस दिन विपक्ष ने नोटबंदी पर चर्चा कराये जाने की मांग की. हमने चर्चा शुरू कराने में कोई विलंब नहीं किया, लेकिन अब यह चर्चा पूरी होनी चाहिए. विपक्ष ने नियम की बात कही, हम नियम पर राजी हो गये. आपने प्रधानमंत्री को बुलाने की मांग की, प्रधानमंत्री आये, लेकिन अब विपक्ष किसी न किसी बहाने से चर्चा को रोकने का प्रयास कर रहा है. विपक्ष चाहता है कि टेलीविजन के लिए बस मुद्दे को उठा दिया जाये, लेकिन चर्चा को आगे बढ़ाने से भाग रहा है.

पीएम जैसे वित्त मंत्री भी टीवी पर दिखना चाहते हैं

कांग्रेस नेता आनंदा शर्मा ने कहा कि जेटली का बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और जल्दबाजी में दिया गया है. प्रधानमंत्री तो हर वक्त टीवी पर दिखना ही चाहते हैं, वित्त मंत्री भी ऐसा चाहते हैं. वे क्या उम्मीद करते हैं? क्या विपक्ष को सवाल करने, गलत फैसलों की आलोचना करने का अधिकार नहीं है? शर्मा की बातों से सहमति जताते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह एक मात्र प्रधानमंत्री हैं, जो टीवी पर दिखना चाहते हैं. जब ऐसा मुद्दा उठाया जाता है, तब वे कहते हैं कि विपक्ष टीवी फुटेज के लिए ऐसा कर रही है.

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