भिवानी : पूर्व फौजी रामकिशन ग्रेवाल का आज भिवानी में अंतिम संस्कार किया जाएगा जिसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवालभी शामिल होगें. ग्रेवाल की मौत पर जहां एक ओर राजनीति गरम है वहीं 70 साल के पूर्व फौजी ने मंगलवार को दिल्ली में जहर खाने के बाद अपने बेटे को फोन किया था. फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो सामने आया है. ग्रेवाल वन रैंक वन पेंशन की लड़ाई लड़ने की बात कह कर घर से निकले थे.
रामकिशन ग्रेवाल ने बेटे को फोन पर कहा – हमारे जवानों के साथ अन्याय हो रहा है, अनर्थ हो रहा है. हमें लड़ाई लड़नी है. बातचीत के दौरान वह अपने बेटे को बताते हैं कि वह इस समय इंडिया गेट के पास हैं. गोलियां खा ली हैं. बेटे ने पूछा- कब खायी. कितनी गोलियां खायीं. ग्रेवाल ने बताया- थोड़ी देर पहले. तीन-चार गोलियां… सल्फास की. बेटे ने रोते हुए कहा- ये आपने क्या किया? लेकिन, ग्रेवाल कहते हैं – अपनी मां से बात कराओ.
रामकिशन यह भी कहते हैं – हम जवानों के साथ अन्याय होते नहीं देख सकते हैं. बेटे ने रोते हुए कहा था कि आपने लड़ाई में हार मान ली. रामकिशन ने इसके बाद कहा कि वे उसूलों के लिए जान दे रहे हैं.इसके पहले वे अपने साथियों के साथ रक्षा मंत्रालय को ज्ञापन देने जा रहे थे. ज्ञापन नहीं दे सके, तो उन्होंने उसी पर छोटा सुसाइड नोट लिखा – ‘मैं मेरे देश के लिए, मेरी मातृभूमि के लिए, और मेरे देश के वीर जवानों के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने जा रहा हूं.
30 हजार की जगह 23 हजार पेंशन
ग्रेवाल ने छह साल टेरिटोरियल आर्मी में ऐक्टिव सर्विस दी. वह वन रैंक वन पेंशन के भी हकदार थे. जांच में सामने आया कि रामकिशन को 2014 में 14 हजार पेंशन मिलती थी, जो वन रैंक वन पेंशन लागू होने के बाद बढ़ कर 28 हजार हुई. फिर सातवां वेतन आयोग के लागू होने के बाद यह बढ़ कर 30 हजार हो जानी चाहिए थी. लेकिन, उनके खाते में 23 हजार रुपये ही आते थे. भिवानी के एसबीआइ शाखा में हिसाब में गड़बड़ी के चलते ग्रेवाल ने छठे वेतन के तहत ‘वन रैंक वन पेंशन योजना’ के तहत कम राशि प्राप्त की ग्रेवाल 1966 में टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हुए थे. 1979 तक वह रहे. 13 साल की सेवा में वह छह साल तक ही एक्टिव सर्विस में रहे. इसके बाद वह 1980 में डिफेंस सिक्यॉरिटी कोर में आ गये, जहां सितंबर 2004 तक रहे. पेंशन के लिए टेरिटोरियल सर्विस या डिफेंस सिक्यॉरिटी कोर में 15 साल की एक्टिव सेवा जरूरी है. यदि वे दोनों सेवाओं में न्यूनतम अवधि की शर्त पूरी किये होते, तो अलग-अलग पेंशन मिलती, लेकिन उन्हें सिर्फ सिर्फ डिफेंस सिक्यॉरिटी कोर की सेवा के लिए पेंशन मिल रही थी.
उन्होंने खुदकुशी की है. कोई नहीं जानता कि क्या वजह है. ओआरओपी को एक कारण के तौर पर दिखाया जा रहा है. उनकी मानसिक स्थिति क्या थी, हम नहीं जानते. पहले इसकी जांच होने दीजिये.
रिटा जनरल वीके सिंह, केंद्रीय मंत्री
एक तरफ तो ओरओपी को लागू करने के बारे में जोर-जोर से घोषणाएं करते हैं. दूसरी तरफ उसे लागू नहीं करते, जबकि इसके लिए पूर्व सैनिकों से वादा किया था. जरूरत पड़ी,तो मैं आंदोलन करेंगे.
अन्ना हजारे, पूर्व सैनिक और समाजसेवी