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92 साल पुरानी परंपरा खत्म : अब एक साथ आएगा रेल बजट और आम बजट

नयी दिल्ली :केंद्रीय कैबिनेट ने उस व्यापक बदलाव के प्रस्ताव पर आज मुहर लगा दी है जिसमें रेल बजट को आम बजट में मिलाने तथा योजना-व्यय और गैर योजना-व्यय में भेद को समाप्त करने की बात कही गई थी.रेल बजट के आम बजट में विलय पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में […]

नयी दिल्ली :केंद्रीय कैबिनेट ने उस व्यापक बदलाव के प्रस्ताव पर आज मुहर लगा दी है जिसमें रेल बजट को आम बजट में मिलाने तथा योजना-व्यय और गैर योजना-व्यय में भेद को समाप्त करने की बात कही गई थी.रेल बजट के आम बजट में विलय पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आज स्थिति अलग है, सिर्फ परंपरा के आधार पर अलग से रेल बजट पेश किए जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस साल एक बजट होगा और एक विनियोजन विधेयक होगा.सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हर साल रेलवे पर चर्चा हो.

जेटली ने कहा कि सरकार बजट की तारीख आगे बढ़ाने के पक्ष में है. विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बजट 2017 की तारीख तय की जाएगी. स्वतंत्रता सेनानियों को रिवाइज्ड पेंशन स्वतंत्रता दिवस 2016 से प्रभावी रहेगा.

आपको बता दें किरेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही बजट के विलय के प्रस्ताव को अपनी सहमति प्रदान कर चुके हैं. कैबिनेट की बैठक में सुरेश प्रभु और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए के मित्तल भी शामिल थे. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद रेल बजट को अलग से पेश करने की 92 साल पुरानी परंपरा खत्म हो गई है.

किराये का रखना चाहता है अधिकार
प्राप्त जनकारी के अनुसार, रेल मंत्रालय किराया और माल भाड़ा तय करने के अधिकार को अपने पास रखना चाह रहा है. रेल मंत्रालय बाजार से पैसा उठाने के अधिकार को भी वित्त मंत्रालय को नहीं देना चाहता. रेल मंत्रालय की सबसे बड़ी चिंता सातवें वेतन आयोग का बोझ और माल भाड़े से मिल रहे राजस्व में तेज कमी है.

रेल किराया के लिए बनेगा प्राधिकरण

सूत्रों के मुताबिक, रेल मंत्रालय को अब वित्त मंत्रालय के सामने कुल बजटीय आवंटन के लिए सरकार के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा. रेल किराया बढ़ाने के अधिकार को लेकर वित्त और रेल मंत्रालय सहमत है कि आने वाले दिनों में किराये में कमी और वृद्धि के लिए रेल किराया प्राधिकरण बनाया जायेगा.

क्या है रेलवे की योजना
2016-17 के दौरान रेलवे को कर्मचारियों के लिए 70 हजार करोड़ रुपये, बिजली के लिए 23 हजार करोड़ रुपये व सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन मद में 45 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. सरकार को लाभांश के तौर पर देने के लिए रेलवे को करीब 5500 करोड़ रुपये के राजस्व की आवश्यकता है.

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