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सरकार ने HC में कहा – नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध दुष्‍कर्म नहीं

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंधों को दुष्‍कर्म की श्रेणी में रखने के पक्ष में नहीं है. नाबालिग से विवाह के आधार पर शारीरिक संबंध को दुष्कर्म की श्रेणी में रखने की मांग संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दायर किया है. सरकार ने कहा […]

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंधों को दुष्‍कर्म की श्रेणी में रखने के पक्ष में नहीं है. नाबालिग से विवाह के आधार पर शारीरिक संबंध को दुष्कर्म की श्रेणी में रखने की मांग संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दायर किया है. सरकार ने कहा है कि नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढिंगरा सहगल की खंडपीठ के समक्ष सरकार ने अपना हलफनामा दायर कर कहा कि आइपीसी की धारा 375 अपवाद (2) पति-पत्नी के निजी मामलों से संबंधित है, जो पारंपरिक सामाजिक संरचना पर आधारित होते हैं. ऐसे में इन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 से 21 तक का उल्लंघन नहीं कह सकते.

सरकार के अनुसार पति को 15 वर्ष की पत्नी से शारीरिक संबंध पर विशेषाधिकार देते हुए ऐसे संबंध को दुष्कर्म की अपेक्षा अपवाद श्रेणी में रखा गया है. जिससे पति-पत्नी के बीच यौन गतिविधि के अपराधीकरण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जा सके. केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने स्वीकार किया कि भारत में बाल विवाह हो रहे हैं और लडकी की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 15 वर्ष बरकरार रखने का फैसला संशोधित बलात्कार कानून के तहत किया गया ताकि जोडे को उनके बीच यौन संबंधों को लेकर दंडित किये जाने से बचाया जा सके.

पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया कि संशोधित बलात्कार कानून के जरिये ‘विसंगतियां’ पैदा हो रही हैं क्योंकि संशोधित कानून पति को उसकी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के अपराध के लिए अभियोजन से बचाता है. लडकी की शादी की उम्र से संबंधित भादंसं की धारा 375 (2) के संदर्भ में मंत्रालय ने कहा, ‘देश में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास अब भी असमान है और बाल विवाह हो रहे हैं.’ मंत्रालय ने कहा, ‘भादंसं की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद दो के तहत 15 वर्ष की उम्र बरकरार रखने का फैसला इसलिए किया गया ताकि पति और पत्नी को उनके बीच यौन संबंधों को लेकर दंडित होने से बचाया जा सके.’

मंत्रालय ने कहा कि भारत में बाल विवाह की ‘सामाजिक सच्चाई’ को देखते हुए 15 वर्ष से अधिक उम्र वाली अपनी पत्नी के साथ किसी भी तरह के यौन संबंध बनाने के लिए पति को अभियोजन से संरक्षण प्रदान किया गया है. इसमें कहा गया कि रजामंदी से शादी की उम्र 18 वर्ष है अैर बाल विवाह को हतोत्साहित किया जाता है लेकिन अनुमति वाली उम्र से कम पर शादी से बचे जाने की जरुरत है लेकिन सामाजिक वास्तविकताओं के कारण यह कानून की नजर में शून्य नहीं है. अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया कि भादंसं की धारा 375 (बलात्कार) में 2013 में संशोधन ‘गलत’ और भादंसं की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के साथ ‘विसंगति’ पैदा करने वाले हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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