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बलात्कार पीड़िता को सुप्रीम कोर्ट ने दी असामान्य भ्रूण गिराने की इजाजत

नयी दिल्ली : आज उच्चतम न्यायालय ने कथित बलात्कार पीड़िता को 24 सप्ताह का अपना असामान्य भ्रूण गिराने की स्वतंत्रता दे दी. उच्चतम न्यायालय ने मुंबई अस्पताल मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह अनुमति दी , जिसमें कहा गया है कि गर्भ के बने रहने से मां के जीवन को खतरा […]

नयी दिल्ली : आज उच्चतम न्यायालय ने कथित बलात्कार पीड़िता को 24 सप्ताह का अपना असामान्य भ्रूण गिराने की स्वतंत्रता दे दी. उच्चतम न्यायालय ने मुंबई अस्पताल मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह अनुमति दी , जिसमें कहा गया है कि गर्भ के बने रहने से मां के जीवन को खतरा हो सकता है.

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने गर्भपात कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक कथित बलात्कार पीड़िता की याचिका पर केंद्र एवं महाराष्ट्र सरकार से आज प्रतिक्रिया मांगी. याचिका में कानून के उन प्रावधानों को चुनौती दी गयी है जो गर्भधारण के 20 सप्ताह बाद गर्भपात कराने पर रोक लगाते हैं, भले ही मां और उसके भ्रूण को जीवन का खतरा ही क्यों न हो.

न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कल के लिए नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता से कहा कि वह अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के माध्यम से इसकी आज ही तामील कराए. महिला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि याचिका में चिकित्सकीय गर्भपात कानून, 1971 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है क्योंकि यह गर्भपात की अनुमति के लिए 20 सप्ताह की सीमा तय करता है. न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भी इस पीठ में शामिल हैं. पीठ ने कहा कि वह महिला की हालत पर चिकित्सकीय बोर्ड की रिपोर्ट मांगेगी.

महिला का आरोप है कि उसके पूर्व मंगेतर ने उससे शादी का झूठा वादा करके उसका बलात्कार किया था और वह गर्भवती हो गयी. उसने अपनी ताजा याचिका में 20 सप्ताह की सीमा तय करने वाली चिकित्सकीय गर्भपात कानून, 1971 की धारा 3:2::बी: को निष्प्रभावी किए जाने की मांग की है है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 का उल्लंघन है.

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