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यदि आपका है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नाता तो नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी?

बीकानेर: अगर आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध रखते हैं तो हो सकता है कि आपको सरकारी नौकरी मिलने में दिक्कत हो. इस प्रकार का मामला राजस्थान में देखने को मिला है. यहां कस्टम विभाग ने परीक्षा पास करने वाले छात्रों से आरएसएस सदस्य नहीं होने का घोषणा पत्र देने को कहा है. इस बात […]

बीकानेर: अगर आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध रखते हैं तो हो सकता है कि आपको सरकारी नौकरी मिलने में दिक्कत हो. इस प्रकार का मामला राजस्थान में देखने को मिला है. यहां कस्टम विभाग ने परीक्षा पास करने वाले छात्रों से आरएसएस सदस्य नहीं होने का घोषणा पत्र देने को कहा है. इस बात को लेकर राजनीति तेज होने के कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत केंद्र सरकार के दर्जनों मंत्री आरएसएस से जुड़े हुए हैं.

एक निजी सामाचार चैनल में चल रही खबर के अनुसार बीकानेर के रहने वाले एक शख्स ने कस्टम विभाग में इंस्पेक्टर पद की परीक्षा पास कर ली है लेकिन उससे ज्वाइनिंग लेटर में घोषणा पत्र मांगा गया है जिसमें साफ-साफ लिखा है कि आप आरएसएस या ऐसे किसी अन्य गैरकानूनी संगठन के सदस्य तो नहीं हैं ?

बात इतने में खत्म नहीं होती ज्वाइनिंग लेटर में ये भी कहा गया है कि अगर आपकी ओर से दी गई जानकारी गलत निकलती है तो आपको नौकरी से निकाले जाने के साथ कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पडेगा. सरकारी नौकरी पाने के बावजूद ऐसे सवाल ने उक्त शख्स को परेशानी में डाल दिया है. मामले के संबंध में कार्मिक मामलों के मंत्री जीतेंद्र सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से ऐसा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है. हां, अगर पुराने किसी सर्कुलर की वजह से ग़लतफ़हमी है तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा.

जानकारों की माने तो मामला 1966 के एक सर्कुलर से जुड़ा हुआ है. साल 1966 में गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें सरकारी नौकरी लेने वाले उम्मीदवार को एक घोषणापत्र भरने को कहा जाता है जिसमें उसे बताना होगा है कि उसका संबंध आरएसएस या जमात-ए-इस्लामी से तो नहीं है. उस समय के आदेश के अनुसार अगर कोई व्यक्ति इन दोनों से जुड़ा है तो वो सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य है. यही सर्कुलर साल 1975 में और साल 1980 में भी सभी विभागों और मंत्रालयों को जारी किया गया हालांकि बाद के दिनों में इस सर्कुलर का सख्ती से पालन नहीं होने लगा और सभी का ध्‍यान इससे हट गया. अब इतने साल बाद एक शख्स से लिखित घोषणापत्र मांगा गया है जबकि केंद्र में भाजपा सरकार है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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