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बोले रीजीजू, कांग्रेस को अरुणाचल के लोगों से मांगनी चाहिए माफी

इटानगर : अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री नबाम तुकी और उनके मंत्रियों को राज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया है. एक आधिकारिक अधिसूचना में राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की गयी […]

इटानगर : अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री नबाम तुकी और उनके मंत्रियों को राज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया है. एक आधिकारिक अधिसूचना में राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की गयी अन्य राजनीतिक नियुक्तियां जैसे सलाहकार, ओएसडी और विशेष अधिकारी भी रद्द की जाती हैं.

राज्यपाल ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्रियों और संसदीय सचिवों को मिलने वाली सुरक्षा की स्थायी समिति द्वारा तुरंत समीक्षा की जाएगी और उसी के आधार पर कदम उठाया जाएगा.’ अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा प्रदेश को राष्ट्रपति शासन के तहत लाने की अधिसूचना के अनुसार यह कदम उठाया जा रहा है.

कांग्रेस को अरुणाचल के लोगों से माफी मांगनी चाहिए : रीजीजू
केंद्रीय मंत्री किरण रीजीजू ने बीती रात कहा कि राष्ट्रपति शासन विशेष मामलों में ही लगाया जाता है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि उसने विभिन्न राज्यों में ‘‘मामूली आधारों’ पर 100 से अधिक बार राष्ट्रपति शासन लगाया था. रीजीजू खुद अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले हैं. उन्होंने सीमावर्ती राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के एक दिन बाद फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा ‘‘राष्ट्रपति शासन विशेष मामलों में ही लगाया जाता है. पर कांग्रेस पार्टी ने पूर्व में आंध्रप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में ‘‘मामूली आधारों’ पर 100 से अधिक बार राष्ट्रपति शासन लगाया था.

कांग्रेस को एकजुट रहने में नाकामी, भ्रष्टाचार मुक्त रहने में असफलता और जनता के प्रति जवाबदेह न रह पाने के लिए अरुणाचल प्रदेश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।’ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रीजीजू ने कहा कि कांग्रेस विधायक छोटे बच्चे नहीं हैं जिन्हें दूसरे जबरन कुछ करने के लिए बाध्य करें। जो हुआ वह उनकी अंदरुनी समस्या है. उन्होंने कहा ‘‘अगर केंद्र को जल्दी होती तो वह तब ही हस्तक्षेप कर देता जब विधानसभा को सील किया गया था या जब राज भवन पर मिथुन नामक पशु के वध को लेकर कब्जा किया गया था और कांग्रेस नेताओं द्वारा टायर जलाए गए थे और राजभवन की सडकें बंद कर दी गई थीं.’

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