श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री और पीडीपी के शीर्ष नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद अगर भाजपा की ‘नापाक’ योजनाओं से राज्य की गरिमा एवं ध्वज की हिफाजत नहीं कर सकते तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘अगर मुफ्ती सईद अपने सहयोगियों की नापाक योजनाओं से राज्य की गरिमा और ध्वज की हिफाजत नहीं कर सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करनी चाहिए जो ऐसा कर सके.” जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की एक खंड पीठ ने एक एकल पीठ के उस आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी जिसमें राज्य के सांवैधानिक प्राधिकरणों से आधिकारिक इमारतों और वाहनों पर राज्य का ध्वज लगाने के लिए कहा गया था. इसके बाद उमर ने यह टिप्पणी की.
उमर की टिप्पणी से ट्विटर पर बहस शुरू हो गयी. कुछ लोगों ने उनकी देशभक्ति पर सवाल खड़े किए. न्यायमूर्ति हसनैन मसूदी ने 27 दिसंबर को यह आदेश जारी किया था. पूर्व पुलिस महानिरीक्षक और भाजपा नेता फारुक खान ने आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक एलपीए दायर की थी.
उच्च न्यायालय ने बी एल भट्ट और न्यायमूर्ति ताशी रब्स्तान की एक विशेष खंड पीठ गठित की थी जिसने खान के वकील सुनील सेठी की दलील सुनने के बाद एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी. उमर ने पूछा कि जम्मू-कश्मीर से विलय की शर्तों का पालन करने की उम्मीद क्यों की जाती है जब बाकी देश उनका निरादर कर सकता है. नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना को लेकर कहा कि जब तक राज्य भारत का हिस्सा है, जम्मू-कश्मीर में दो झंडे फहराए जाएंगे.
उमर ने लिखा, ‘‘भारतीय और जम्मू कश्मीर के संविधानों द्वारा राज्य के झंडे को स्वीकारना और उसे मान्यता देना आजादी नहीं है.” एक टीवी समाचार चैनल के प्रस्तोता के ट्वीट का जवाब देते हुए उमर ने कहा, ‘‘क्या उन्होंने अभी अभी पाकिस्तान का एजेंट कहा है.” न्यूज एक्स के राहुल शिवशंकर ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायनय द्वारा आदेश पर रोक लगाए जाने के बाद ट्विटर पर लिखा था कि उमर अब्दुल्ला और पाकिस्तान एजेंट अब क्या कहेंगे? उमर ने पत्रकार के हमले को खारिज करते हुए कहा कि उनमें ‘उनके (प्रस्तोता) जैसों’ से देशभक्ति का प्रमाणपत्र पाने की ‘कभी भी चाह नहीं रही’ है और इसलिए यह बडी बात नहीं है.