मुंबई: समाजवादी पार्टी ने विस्फोट के सिलसिले में फांसी की सजा पाये याकूब मेमन की पत्नी को राज्यसभा भेजने का आग्रह कर एक विवाद खड़ा करने वाले पार्टी नेता मोहम्मद फारुक घोसी को आज निलंबित कर दिया. सपा ने यह कार्रवाई तब की जब पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के उपाध्यक्ष घोसी ने पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव को पत्र लिख कर मेमन की पत्नी राहीन को राज्यसभा के लिए पार्टी उम्मीदवार बनाने का आग्रह किया. इसपर कांग्रेस, भाजपा और शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया की.
उन्होंने कहा, राहीन भी बहुत दिक्कतों से गुजरी. किसी आतंकवादी की पत्नी होना उसे आतंकवादी नहीं बना देता. इस बीच, सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आसिम आजमी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष से विमर्श किए बिना अपनी मांग को ले कर मीडिया में जाने पर घोसी के खिलाफ कार्रवाई की गयी. आजमी ने कहा, हमने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों पर निलंबित किया है. किसी को भी मीडिया के समक्ष बयान देने से पहले अपने पार्टी अध्यक्ष से विमर्श करना होता है.
उनकी टिप्पणी दिखाती है कि उनकी रुचि सिर्फ सुर्खियों में रहने की है. उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया जायेगा और अपना रुख साफ करने के लिए कहा जायेगा. घोसी ने कहा कि उन्होंने बस वही लिखा जो उनके दिल में है और वह अपने पत्र के मजमून पर टिके हैं. उन्होंने कहा कि वह मुलायम सिंह से प्रेरणा लेते हैं जो कहते हैं कि जो भी दिल में हो निडर हो कर कहा जाना चाहिए.
मैंने मुलायम सिंहजी से कहा भी अगर मैंने अपने पत्र में कुछ गलत लिखा हो तो वह मुझे माफ कर दें. इन सब के बावजूद, अगर पार्टी महसूस करती है कि मैंने कुछ गलत किया है तो वह मुझे निलंबित करने के लिए आजाद हैं. लेकिन मैं अपने पत्र पर टिका हूं. अगर मुझे मौका दिया गया तो मैं निश्चित तौर पर नेतृत्व के समक्ष अपना पक्ष रखूंगा.’ इस बीच, सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि मांग को पार्टी के रुख के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
कांग्रेस ने कहा कि मेमन को फांसी की सजा देने का फैसला उच्चतम न्यायालय का है और इसलिए इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाए.कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, ‘यह उनका अपना आंतरिक पार्टीगत मामला है. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उनका एजेंडा मुद्दे को सांप्रदायिक मोड देना है. मेमन को फांसी देने का फैसला उच्चतम न्यायालय ने किया और इस लिए अब मामले को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाये.
भाजपा नेता माधव भंडारी ने कहा कि घोसी की टिप्पणियां साबित करती है कि समाजवादी पार्टी की रुचि बस वोट-बैंक की राजनीति में है और पार्टी को इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करना चाहिए.भंडारी ने कहा, हर शख्स को अपनी पार्टी को कुछ सलाह देने का अधिकार है. लेकिन हर नेता को सलाह देते वक्त कुछ मर्यादा दिखानी चाहिए. सपा को अपना रुख साफ करना चाहिए और अगर वह पार्टी दिशा के विरुद्ध काम कर रहे हैं तो पार्टी को कुछ गंभीर कार्रवाई करनी चाहिए.