नोबेल पुरस्कार प्राप्त मदर टेरेसा को वर्ष 2016 में संत की उपाधि दी जायेगी. संत बनने की जो प्रक्रिया है, उस क्रम में अभी वे धन्य घोषित हो चुकी है. संत की उपाधि को लेकर कैथोलिक धर्मगुरू ने संकेत दिया हैकि मदर टेरेसा को यह उपाधि अगले वर्षदी जा सकती है. इतालवी मीडिया ने रोम में नगर निगम अधिकारियों से कहा कि पोप फ्रांसिस मदर टेरेसा को कोलकाता के गरीबों के लिए काम करने को लेकर संत की उपाधि से विभूषित करेंगे. संभवत: यह अगले वर्ष तक संभव होगा. जबकि वेटिकन प्रवक्ता ने अभी उन्हें संत घोषित किये जाने को लेकर समय की घोषणा को अभी जल्दबाजी करना बताया है. उनका कहना है कि अभी उन्हेंसंत की उपाधि देने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है और इस बारे में अभी बात करना जल्दबाजी होगी. मदर टेरेसा का जन्म मेशेडोनिया गणराज्य में हुआ था, लेकिन इन्होंने बाद में भारत की नागरिकता ले ली थी.
किस आधार पर मिलती है संत की उपाधि
मदर टेरेसा से पहले भी भारत में कई लोगों को संत की उपाधि दी जा चुकी है. ईसाई धर्म के अनुसार संत वैसा व्यक्ति होता है, जिसके अंदर दैवीय शक्ति होती है, जो उन्हें ईश्वर द्वारा प्रदत्त होती है.संत की उपाधि प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि उक्त व्यक्ति के द्वारा कम से कम तीन चमत्कार किये गये हों.
मदर टेरेसा को यह सम्मान क्यों
मदर टेरेसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने गरीबों की सेवा के लिए कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की और लगभग 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ लोगों की सेवा की. मदर टेरेसा के इन कार्यों से प्रभावित होकर कई लोगों ने उनके इस नेक काम में उनका साथ दिया. टेरेसा को इस कार्य के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं. उन्हेंशांति का नोबल पुरस्कार मिला है. इसके साथ ही टेंपेलटन फाउंडेशन पुरस्कार भी प्रदान किया है. अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी. साथ ही भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है. ब्रिटेन द्वारा आईर ऑफ द ब्रिटिश इंपायर’ की उपाधि प्रदान की गयी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया. इस तरह के कई सम्मान मदर टेरेसा के नाम है.