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विक्रमसिंघे के बयान पर कांग्रेस ने कहा- मोदी सरकार दुबक गयी है चूहे की तर‍ह

कोलंबो : श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के विवादित बयान के बाद भारत में राजनेताओं ने इसकी कड़ी निंदा की है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि कितने अच्छे दिन आ गये हैं कि अब श्रीलंका भारत को धमकी दे रहा है.उन्होंने कहा कि जब यह सरकार विपक्ष में थी तो कहते थे […]

कोलंबो : श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के विवादित बयान के बाद भारत में राजनेताओं ने इसकी कड़ी निंदा की है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि कितने अच्छे दिन आ गये हैं कि अब श्रीलंका भारत को धमकी दे रहा है.उन्होंने कहा कि जब यह सरकार विपक्ष में थी तो कहते थे कि भारत महाशक्ति बनेगा लेकिन आज यह सरकार चूहे की तरह दुबक गई है. अगर भारतीय मछुआरे गलती से अपनी रोजी रोटी के लिए श्रीलंका के जल क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं तो इसमें उन्हें गोली मार दी जायेगी. यह बहुत गलत है. उनके भी मछुआरे हमारे जल क्षेत्र में आते हैं.

वहीं डीएमके नेता टीके एस एलांगोवन ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर श्रीलंका से बात करनी चाहिए. श्रीलंका के प्रधानमंत्री के बयान की जितनी भी निंदा की जाये कम है.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि इस बयान पर श्रीलंका के प्रतिनिधि के साथ बात की जायेगी. यह एक लंबे समय से चला आ रहा विवाद है. इस समस्या का सामाधान एक दिन में नहीं निकाला जा सकता है. भारत श्रीलंका के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय बातचीत में मछुआरों का मुद्दा मजबूती के साथ उठाएगा.

आपको बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रासे पहले श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने यह कहकर विवादों को हवा दे दी कि श्रीलंकाई जलक्षेत्र में घुसने पर भारतीय मछुआरों को गोली मारी जा सकती है. विक्रमसिंघे ने भारतीय मछुआरों पर उत्तरी श्रीलंका के मछुआरों की आजीविका छीनने का आरोप लगाते हुए तमिल थांती टीवी से कहा, ‘‘ यदि कोई हमारे घर में घुसने की कोशिश करता है, तो मैं गोली मार सकता हूं. यदि वह मारा जाता है.

तो कानून हमें ऐसा करने की इजाजत देता है.’’ उन्होंने मछुआरा मामले पर कहा, ‘‘ जहां तक मुझे पता हैं, हमारी बहुत बहुत मजबूत सीमा रेखाएं हैं. यह हमारा जलक्षेत्र है. जाफना के मछुआरों को मछलियां पकडने देना चाहिए। हमने उन्हें मछलियां पकडने से रोका, इसलिए भारतीय मछुआरे भीतर आ गए, वे समझौता करने के लिए तैयार हैं. एक उचित समझौता होना चाहिए लेकिन उत्तरी मछुआरों की आजीविका की कीमत पर नहीं.’’श्रीलंकाई नौसेना की गोलीबारी में पिछले कई वर्षों में करीब 600 भारतीयों के मारे जाने संबंधी आरोपों के बारे में पूछे जाने पर श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल में ऐसी घटना नहीं हुई है. ऐसी आखिरी घटना 2011 में हुई थी.

विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘ इनमें से पहले की कई घटनाएं श्रीलंका के गृह युद्ध के समय हुई थी, उनका मानना था कि उनमें से कुछ लोग वास्तव में हथियारों की आपूर्ति में शामिल थे.’’ विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘जहां तक हमारी बात है, आज भी उत्तरी क्षेत्र के मछुआरे पूछ रहे हैं कि नौसेना हमारी रक्षा क्यों नहीं कर रही. हमारा काम उन्हें समझाने का है कि देखो यह समुद्री सीमा है, लेकिन हमें फिर भी जाकर भारत से बात करनी होगी और इस मसले को सुलझाना होगा.’’ उन्होंने श्रीलंकाई जलक्षेत्र में भारतीय मछुआरों द्वारा कथित रुप से अवैध तरीके से मछलियां पकडने के मामले में प्रश्न उठाते हुए कहा, ‘‘ आप हमारे जलक्षेत्र में क्यों आ रहे हैं? आप हमारे जलक्षेत्र में मछलियां क्यों पकड रहे हैं? भारतीय जलक्षेत्र में रहें. इससे कोई समस्या नहीं होगी. कोई किसी को गोली नहीं मारेगा.’’

विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘ आप भारतीय जलक्षेत्र में रहें, हमारे मछुआरों को श्रीलंका के जलक्षेत्र में रहने दें. अन्यथा नौसेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप न लगाएं। आप वहां आए थे.’’ उन्होंने इटली के मरीनों को गिरफ्तार किए जाने का मामला भी उठाया और कहा कि यदि भारत इटली का मित्र है, तो उसे ‘‘इटली के प्रति भी वही उदारता दिखानी चाहिए जो वह हमसे देखना चाहता है.’’ पिछले महीने भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी और उनके अपहरण के कई मामले हुए हैं.

श्रीलंकाई मछुआरे शिकायत कर रहे हैं कि नई सरकार के आने के बाद से अवैध रुप से मछलियां पकडने के लिए श्रीलंका के जलक्षेत्र में आने वाले भारतीय मछुआरों की संख्या में वृद्धि हुई है. श्रीलंकाई नौसेना ने देश के जलक्षेत्र में कथित रुप से घुसने के आरोप में पिछले महीने 86 मछुआरों को गिरफ्तार किया था और उनकी 10 नौकाओं को जब्त किया था.

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