श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य पर आज उस वक्त एक नया मोड देखने को मिला, जब नेशनल कांफ्रेंस ने सरकार गठन के लिए पीडीपी को समर्थन की पेशकश के बारे में राज्यपाल एनएन वोहरा को पत्र लिख कर सूचना दी. साथ ही, इस बात पर जोर दिया कि सरकार गठन के बारे में कोई भी फैसला किये जाने से पहले उससे विचार विमर्श किया जाना चाहिए. वहीं, पीडीपी ने बडी ही सतर्कता से प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी ताजा घटनाक्रम के बारे में उपयुक्त मंच पर गौर करेगी और चर्चा के बाद जवाब देगी.
नेकां के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘जेकेएनसी ने राज्यपाल वोहरा साहिब को पत्र लिखकर जेकेपीडीपी को समर्थन देने की पेशकश दोहराई है और उनसे विधानसभा के बारे में कोई फैसला करने से पहले हमे बुलाने को कहा है.’ पार्टी की एक विज्ञप्ति के मुताबिक पत्र में उमर ने कहा है कि नेकां ने पीडीपी को समर्थन की पेशकश की है, जो हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बडी पार्टी के रूप में उभरी है.
पार्टी ने एक बयान में कहा है कि अब्दुल्ला ने वोहरा से मौजूदा विधानसभा के भविष्य के बारे में और सरकार गठन में इसकी व्यवहार्यता के बारे में कोई आखिरी फैसला करने से पहले पार्टी नेतृत्व से परामर्श करने का अनुरोध किया है. जम्मू प्रांतीय अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह राणा ने आज दोपहर वोहरा को पत्र सौंपा. नेकां कोर ग्रुप की श्रीनगर में कल हुई बैठक के परिणामस्वरुप ऐसा किया गया.
पत्र में कहा गया है, ‘हालांकि, पीडीपी के किसी निर्णय पर नहीं पहुंचने के चलते राज्य में पैदा हुए राजनीतिक गतिरोध ने चुनाव प्रक्रिया में जम्मू कश्मीर के लोगों के बढ चढ कर भाग लेने के बावजूद राज्यपाल शासन लगाए जाने और राज्य विधानसभा को निलंबित अवस्था में रखे जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ.’ पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता नईम अख्तर ने बताया, ‘हम पार्टी के उपयुक्त मंच पर इस घटनाक्रम पर चर्चा करेंगे और चर्चा के बाद प्रतिक्रिया जाहिर करेंगे.’
हाल में हुए विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया था. चुनाव नतीजे 23 दिसंबर को घोषित किए गए थे. 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बडे दल के रूप में उभरी जबकि भाजपा को 25, नेशनल कांफ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली. उमर ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर पिछले हफ्ते इस्तीफा दे दिया था. पीडीपी और भाजपा के बीच बातचीत चली लेकिन चुनाव नतीजे आने के तीन हफ्ते बाद भी कोई समझौता नहीं हो सका जिसके चलते राज्य में राज्यपाल शासन लगाना पडा.
इससे पहले आज दिन में उमर ने कहा कि हालिया विधानसभा चुनाव के लिए कश्मीर से पार्टी के सभी उम्मीदवारों ने सरकार गठन को लेकर भाजपा से हाथ नहीं मिलाने के पार्टी के रूख से सहमति जताई है. सरकार गठन करने की समय सीमा 19 जनवरी तक है.