बिलासपुर : छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद मरने वाली महिलाओं के मामले में पुलिस ने दोषी डॉक्टर आरके गुप्ता को बालौद बाजार से गिरफ्तार कर लिया है. इनपर महिलाओं के ऑपरेशन करने का आरोप है. घटना के बाद से ही डॉक्टर फरार था जिसे गिरफ्तारी के बाद बिलासपुर लाया गया, जहां उससे पूछताछ की जा रही है. इसी वर्ष मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंहने इस डॉक्टर को 50 हजार लोगों का ऑपरेशन कराने के लिए सम्मानित भी किया था.
गिरफ्तार डॉक्टर ने कहा टारगेट पूरा करने के कारण दबाव था जिसके कारण यह घटना हुई. उन्होंने पांच घंटे में ही 83 महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया.
महत्वपूर्ण बात यह कि डॉक्टर ने संरक्षित बैगा जनजाति की भी नसबंदी कर दी. फिर वरीय अधिकारियों की अनुमति के इनका ऑपरेशन करना गैर कानूनी है. इस घटना में बैगा जनजाति की कम से कम महिला की मौत होने की सूचना है.
घटना में मरने वाली महिलाओं की संख्या 15 हो गई है जबकि 50 से ज्यादा अभी भी अस्पताल में भरती हैं. इस मामले में डॉ गुप्ता के रूपमें पहली गिफ्तारी हुई है. पुलिस उन लोगों की भी तलाश कर रही है जो ऑपरेशन के दौरान इनके साथ मौजूद थे.
घटना के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने फौरी कार्रवाई करते हुए चार डाक्टरों को निलंबित कर दिया साथ हीं मृत्कों के परिवारवालों को चार-चार लाख मुआवजे की घोषणा भी की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना की जानकारी लेकर मुख्यमंत्री को दोषी लोगों के खिलाफ कार्रई करने को कहा. इस घटना को विरोधी दल कांग्रेस ने आड़े हाथ लेते हुए कल छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की.
बुधवार को मृतकों की संख्या 13 थी
छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बादबुधवार कोमरने वाली महिलाओं की संख्या बढकर 13 हो गई. जिले के अन्य नसबंदी शिविरों की भी महिलाओं की हालत बिगडने की जानकारी मिली है. बिलासपुर संभाग के आयुक्त सोनमणि बोरा ने बताया कि जिले के पेंडारी गांव में हुए नसबंदी आपरेशन के बाद अपोलो अस्पताल में भर्ती एक महिला शिवकुमारी की बुधवार को मौत हो गई. वहीं जिले के पेंडरा ब्लाक में शिविर में हुए आपरेशन में भी एक आदिवासी महिला चैती बाई (34) की भी मौत हुई है. बोरा ने बताया कि राज्य के पेंडारी गांव के शिविर में 83 महिलाओं की नसबंदी की गई थी जिसमें से 12 महिलाओं की मौत हो गई थी. वहीं जिले के पेंडरा, गौरेला और मारवाही ब्लाक में 10 नवंबर को 56 महिलाओं की नबसंदी की गई थी जिसमें से एक महिला चैती बाई की बुधवार को मौत हो गई.
छत्तीसगढ सरकार ने छह संदिग्ध औषधियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया
बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद महिलाओं की मौत की घटना के बाद राज्य शासन ने शिविर में इस्तेमाल की गई छह संदिग्ध औषधियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने बिलासपुर जिले के पेंडारी (तखतपुर) के नसबंदी शिविर में महिलाओं के ऑपरेशन के दौरान इस्तेमाल की गई छह विभिन्न औषधियों की राज्य के मेडिकल स्टोर्स में बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन छत्तीसगढ से मिली जानकारी के अनुसार औषधियों की गुणवत्ता संदिग्ध होने के कारण औषधि निरीक्षक बिलासपुर द्वारा इन दवाईयों के नमूने लिए गए हैं. इन नमूनों को जांच और विश्लेषण के लिए कोलकाता स्थित केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला को भेजा गया.
बंद का मिलाजुला असर
बिलासपुर जिले में नसंबदी के बाद महिलाओं की मौत की घटना को लेकर राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा बुलाए गए एक दिवसीय बंद का मिलाजुला असर रहा. राज्य के बिलासपुर जिले में नसंबदी के बाद महिलाओं की मौत की घटना को लेकर राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने छत्तीसगढ बुधवार को बंद का आह्वान किया था. बंद के दौरान कांग्रेस ने राजधानी रायपुर के जयस्तंभ चौक में उग्र प्रदर्शन किया. रायपुर जिले के पुलिस अधीक्षक ओपी पाल ने बताया कि बंद के दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने जयस्तंभ चौक में टायरों में आग लगा दी और बस में तोडफोड की. घटना के बाद दो महिलाओं समेत 97 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.
उच्च न्यायालय ने 10 दिनों में सरकार से जवाब मांगा
उच्च न्यायालय ने राज्य के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद महिलाओं की मौत के मामले में 10 दिनों में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सलीम काजी ने बताया कि बिलासपुर उच्च न्यायालय ने बिलासपुर नसबंदी मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है तथा इस मामले में 10 दिनों के भीतर जवाब मांगा है. काजी ने बताया कि न्यायमूर्ति टीपी शर्मा और न्यायमूर्ति इंदर सिंह उबवेजा की खंडपीठ ने नसबंदी मामले के सबंध में स्थानीय अखबारों में आ रही रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से सवाल किया है कि क्या कारण है कि राज्य में इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं.