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केजरीवाल ने माना इस्तीफा देना सबसे बड़ी गलती

नयी दिल्ली: दिल्ली की सत्ता पर फिर से काबिज होने के मकसद से विधानसभा चुनाव के लिए कमर कसते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि चुनाव अभियान में वह पार्टी का ‘‘चेहरा’’ होंगे. केजरीवाल ने ऐसे संकेत भी दिए कि वह खुद पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री […]

नयी दिल्ली: दिल्ली की सत्ता पर फिर से काबिज होने के मकसद से विधानसभा चुनाव के लिए कमर कसते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि चुनाव अभियान में वह पार्टी का ‘‘चेहरा’’ होंगे. केजरीवाल ने ऐसे संकेत भी दिए कि वह खुद पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे.

पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में ‘आप’ को शानदार जीत दिलाने वाले 46 साल के केजरीवाल ने कहा कि कोई वजह ही नहीं है कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार में कोई बदलाव किया जाए. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बाबत अंतिम निर्णय पार्टी ही करेगी.
केजरीवाल ने दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘‘कोई वजह ही नहीं है कि इसमें कोई बदलाव होगा. अंतिम निर्णय पार्टी करेगी.’’ पिछले विधानसभा चुनावों में ‘आप’ के लिए एक गैर-परंपरागत प्रचार की रणनीति अपनाने में अहम भूमिका निभाने वाले केजरीवाल ने कहा कि वह इस बार भी पार्टी का चेहरा होंगे. भाजपा ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी और सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव लडेगी. कांग्रेस ने भी कहा है कि पार्टी का कोई मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं होगा.
विधानसभा चुनाव में ‘आप’ को स्पष्ट जनादेश मिलने का भरोसा जताते हुए केजरीवाल ने कहा कि करीब डेढ महीने पहले हुए एक सर्वेक्षण के नतीजों में दिखाया गया था कि यदि चुनाव कराए जाते हैं तो ‘आप’ को 47 फीसदी वोट मिलेंगे जबकि भाजपा को 37 फीसदी वोट हासिल होंगे.केजरीवाल ने बताया, ‘‘लोग उन 49 दिनों को याद करते हैं.
यह लोगों के लिए एक सपने की तरह था. इसलिए लोग हमें वोट देंगे. हमें स्पष्ट बहुमत मिलने का पूरा भरोसा है.’’ बहरहाल, केजरीवाल ने कहा कि 49 दिनों के शासन के बाद सरकार से इस्तीफा देना उनके राजनीतिक करियर की ‘‘सबसे बडी भूल’’ थी. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने गलत ‘‘राजनीतिक अनुमान’’ लगाया था क्योंकि उसे लगा था कि चुनाव तुरंत करा दिए जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘इस्तीफा देना सबसे बडी भूल थी. लोगों को बहुत उम्मीदें थी और उनकी उम्मीदें बिखर गईं. बीती बातों पर मंथन करना आसान है. हमारा मानना था कि हमारे इस्तीफे के तुरंत बाद चुनाव करा दिए जाएंगे.’’
पिछले साल ‘आप’ ने पहली बार चुनाव लडा था और 28 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लडने वाली ‘आप’ ने अच्छे प्रशासन का वादा किया था.विधानसभा चुनावों में ‘आप’ को 29.49 फीसदी वोट मिले थे जबकि भाजपा को 33.07 और कांग्रेस को 24.55 फीसदी वोट हासिल हुए थे. केजरीवाल ने इस आलोचना को खारिज कर दिया कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा की वजह से दिल्ली सरकार से इस्तीफा दे दिया था.
‘आप’ नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री बनने के लिए मैंने मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोडी. यह भाजपा का दुष्प्रचार है. संविधान के मुताबिक, किसी मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री बनने के लिए इस्तीफा नहीं देना होता है. क्या मोदी ने प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लडते वक्त मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडी थी ? यदि मेरी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा होती तो मैं मोदी के खिलाफ चुनाव क्यों लडता ? मैंने कोई सुरक्षित सीट चुनी होती. यह पूरी तरह बकवास है.’’ लोकसभा चुनावों में 400 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लडने के फैसले को अपनी ‘‘गलती’’ बताते हुए केजरीवाल ने हार की पूरी जिम्मेदारी ली.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हार की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं.’’ ‘आप’ ने 400 से ज्यादा सीटों पर लोकसभा चुनाव लडा लेकिन उसे पंजाब की सिर्फ चार सीटों पर ही जीत मिली.केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के चुनावों में भाजपा ‘आप’ की मुख्य विरोधी होगी क्योंकि कांग्रेस कडी टक्कर देने की हालत में नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा और कांग्रेस के पास चुनावों में उतारने लायक कोई भरोसेमंद चेहरा नहीं है.चुनाव कराने में देरी के मुद्दे पर केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधा और कहा, ‘‘उसने गंदी राजनीति की, दिल्ली के लोगों के साथ गंदे तौर-तरीके अपनाए ,जो सही नहीं है.’’

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