मुंबई : महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव का पिटारा खुल चुका है और यहां नयी सरकार बनाने को लेकर जुगत तेज हो गयी है. भाजपा-शिवसेना गंठबंधन के सरकार बनाने की उम्मीद तो नजर आ रही है लेकिन मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो पेंच कहीं सीएम पद को लेकर फंस नहीं जाए. कारण साफ है , भाजपा को चुनाव में बहुमत से कम सीटें प्राप्त हुई हैं, इसलिए शिवसेना किंगमेकर की भूमिका में आ चुकी है.
शनिवार को दोपहर 12 बजे पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने घर मातोश्री में शिवसेना के सभी नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलायी है, जिसमें भाजपा के साथ सरकार बनाने को लेकर कुछ निर्णय लिये जा सकते हैं. आज की बैठक के बाद यह साफ हो सकेगा की शिवसेना की आगे की रणनीति क्या होगी ? पार्टी प्रमुख बैठक में सभी विधायकों की राय लेंगे.
चुनाव परिणाम के तुरंत बाद की बात करें तो ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद और मंत्रियों के विभागों के समान बंटवारे की मांग शिवसेना कर चुकी है. जानकारों की मानें तो विधायकों की बैठक में पहले ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठना लगभग तय है. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भाजपा से शिवसेना यह कह सके कि हमारी पार्टी के विधायक आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं.
शुक्रवार को वर्ली में एक पोस्टर नजर आया जिसमें आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री बताया गया. इधर, शिवसेना नेता संजय राउत ने एक ट्वीट किया जिसके बाद सूबे की राजनीति के करवट लेने की बात कही जा रही है. संजय राउत ने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किये कार्टून में चुनाव चिह्न ‘बाघ’ को एनसीपी का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ पहने दिखाया है. यही नहीं कार्टून में भाजपा के चुनाव चिह्न ‘कमल’ को बाघ सूंघता नजर आ रहा है. इस कार्टून का कैप्शन उन्होंने दिया है- व्यंग चित्रकाराची कमाल! बुरा न मानो दिवाली है…
इस कार्टून का राजनीतिक जानकार ये अर्थ निकाल रहे हैं कि शिवसेना बीजेपी को संकेत देना चाहती है कि वह बदली परिस्थितियों में राकांपा के साथ भी जा सकती है.
व्यंग चित्रकाराची कमाल!
बुरा न मानो दिवाली है.. pic.twitter.com/krj2QAnGmB— Sanjay Raut (@rautsanjay61) October 25, 2019
क्या छपा सामना में
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम के एक दिन बाद शिवसेना ने चुनाव में उम्मीद से कम प्रदर्शन करने वाली भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में कोई ‘‘महा जनादेश’ नहीं है और यह परिणाम वास्तव में उन लोगों के लिए सबक है, जो ‘‘सत्ता के घमंड में चूर’ थे. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘‘सामना’ में कहा कि इस जनादेश ने यह धारणा खारिज कर दी है कि दल बदलकर और विपक्षी दलों में सेंध लगाकर बड़ी जीत हासिल की जा सकती है. चुनाव में राकांपा और कांग्रेस ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है. सम्पादकीय में परिणामों का विश्लेषण करते हुए कहा गया कि परिणाम दर्शाते हैं कि विपक्षियों को राजनीति में खत्म नहीं किया जा सकता. मराठी समाचार पत्र ने लिखा कि चुनावों के दौरान ‘‘भाजपा ने राकांपा में इस प्रकार सेंध’ लगायी कि लोगों को लगने लगा था कि शरद पवार की पार्टी का कोई भविष्य नहीं है. शिवसेना ने कहा कि लेकिन राकांपा ने 50 सीटों का आंकड़ा पार करके वापसी की और नेतृत्वहीन कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली. यह परिणाम सत्तारूढ़ों को चेतावनी है कि वे सत्ता का घमंड न करें.. यह उन्हें सबक है…