मुंबई : हरित कार्यकर्ताओं को लगातार दूसरे दिन झटका लगा जब बंबई उच्च न्यायालय ने मेट्रो कार शेड के लिए मुंबई के प्रमुख हरित क्षेत्र आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से शनिवार को इनकार कर दिया. कुछ हरित कार्यकर्ताओं ने शनिवार को नयी याचिका दायर कर मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) द्वारा इलाके में 2656 पेड़ों को काटे जाने पर रोक लगाने की मांग की थी.
इससे एक दिन पहले उच्च न्यायालय ने बृहंमुंबई महानगरपालिका के वृक्ष प्राधिकरण के पेड़ों को काटने की अनुमति देने के फैसले को चुनौती देने वाले गैर लाभकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं की चार याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कार्यकर्ता इस फैसले पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे ताकि वे उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकें. एमएमआरसीएल ने शुक्रवार देर रात को पेड़ काटने शुरू कर दिये थे. उसकी इस कार्रवाई का हरित कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया. कार्यकर्ताओं ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय में सोमवार को अपील दायर की जायेगी, लेकिन तब तक एमएमआरसीएल कॉलोनी में सभी पेड़ काटे जो चुके होंगे. न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एके मेनन ने उच्च न्यायालय में अपने चैंबर में अर्जी पर तत्काल सुनवाई की.
एमएमआरसीएल की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अक्षय शिंदे ने अदालत को बताया कि उन्होंने शुक्रवार को उच्च न्यायालय के फैसले के बाद ही पेड़ काटने की कार्रवाई शुरू की. पीठ ने संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह शुक्रवार के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी और उसने एमएमआरसीएल की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. पेड़ों को काटने जाने का विरोध कर रहे कार्यकर्ता आरे को वन क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव के लिए सरगर्मियां तेज होने के कारण इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है. विपक्षी दल सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना को पेड़ों को बचाने में उनकी नाकामी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
एमएमआरसीएल ने कहा कि पेड़ों की कटाई कॉलोनी में एक छोटे से इलाके में ही होनी है और मुंबईवासियों के सुचारू परिवहन के लिए ऐसा किया जाना आवश्यक है. उच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवार को याचिकाएं खारिज किये जाने के बाद जब एमएमआरसीएल ने पेड़ों को काटना शुरू किया. कई कार्यकर्ता उपनगर गोरेगांव में कॉलोनी के बाहर इकट्ठा हो गये थे. पुलिस ने एमएमआरसीएल के काम में बाधा डालने के सिलसिले में शनिवार को 29 लोगों को गिरफ्तार किया और कई अन्य को हिरासत में लिया. मेट्रो-3 लाइन (कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज़) के लिए प्रस्तावित कार शेड आरे कॉलोनी के दक्षिणी हिस्से में 33 हेक्टेयर क्षेत्र पर बनेगा. उच्च न्यायालय ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि वृक्ष प्राधिकरण की निर्णय करने की प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और तर्क पर आधारित है.