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डीके शिवकुमार 13 सितंबर तक ईडी की रिमांड पर

नयी दिल्ली : कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को धनशोधन के एक मामले में दिल्ली की अदालत ने बुधवार को 13 सितंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया. प्रवर्तन निदेशालय ने शिवकुमार की 14 दिन की हिरासत मांगी थी. मंगलवार की रात गिरफ्तार किये गये शिवकुमार को विशेष न्यायाधीश अजय […]

नयी दिल्ली : कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को धनशोधन के एक मामले में दिल्ली की अदालत ने बुधवार को 13 सितंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया. प्रवर्तन निदेशालय ने शिवकुमार की 14 दिन की हिरासत मांगी थी.

मंगलवार की रात गिरफ्तार किये गये शिवकुमार को विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ के समक्ष पेश किया गया. राष्ट्रीय राजधानी के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चिकित्सीय जांच के बाद 57 वर्षीय कांग्रेस नेता को अदालत लाया गया. शिवकुमार के वकीलों अभिषेक मनु सिंघवी और दायन कृष्णन ने हिरासत में लेकर पूछताछ करने की ईडी की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि वह जांच में शामिल हुए और कभी भागने की कोशिश नहीं की. उनके वकील ने दावा किया कि शिवकुमार को खाना नहीं दिया गया और यह ईडी द्वारा धीरे-धीरे दी जाने वाली यातना है. सिंघवी ने कहा कि पुलिस रिमांड अपवाद है और इसे विवेकहीन तरीके से नहीं दिया जा सकता और शिवकुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की याचिका दुराग्रह से भरी हुई है. वह ईडी की दलीलों का विरोध कर रहे थे जिसने अदालत से कहा कि आय कर की जांच और कई गवाहों के बयानों से शिवकुमार के खिलाफ अपराध साबित करने वाले साक्ष्यों का खुलासा हुआ है.

एजेंसी ने दावा किया कि वह जांच से कतराते रहे और उसमें सहयोग नहीं किया तथा महत्त्वपूर्ण पद पर रहते हुए उनकी आय में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई थी. ईडी ने कहा कि शिवकुमार का आमना-सामना कई दस्तावेजों से कराना होगा और अवैध संपत्तियों के खुलासे के लिए उन्हें हिरासत में लेने की जरूरत है. एजेंसी ने कहा कि शिवकुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है क्योंकि वह कुछ तथ्यों से अवगत हैं तथा उन्होंने जांच को दूसरी दिशा में मोड़ने की कोशिश की. ईडी ने कहा कि धन के स्रोत और कार्य प्रणाली का पता लगाने के लिए शिवकुमार से पूछताछ जरूरी है और छापेमारी के दौरान जब्त की गयी नकदी के बारे में वह कुछ नहीं बता सके हैं.

अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल केएम नटराज और अधिवक्ता एनके मट्टा ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और दायन कृष्णन 57 वर्षीय शिवकुमार का पक्ष रख रहे हैं. सिंघवी ने हिरासत में लेकर पूछताछ करने की ईडी की याचिका का यह कह कर विरोध किया कि एजेंसी ने विवेक का इस्तेमाल किये बगैर दलीलें दी हैं, क्योंकि शिवकुमार से पहले ही 33 घंटों तक पूछताछ की जा चुकी है और उनके भागने का कोई खतरा नहीं है. उन्होंने तर्क दिया कि ईडी जब तक कुछ चौंकाने वाला नहीं दिखाती, शिवकुमार को उसकी हिरासत में नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वह कभी भागे नहीं हैं. शिवकुमार की ओर से उनकी जमानत के संबंध में भी एक याचिका दायर की गयी और कृष्णन समेत उनके अन्य वकीलों ने दलील दी कि पूरा मामला अगस्त 2017 में शुरू हुई आयकर छापेमारी पर आधारित है जिसमें बाद में 13 जून, 2018 को एक शिकायत भी दर्ज की गयी.

सिंघवी ने कहा, यह मेरे (शिवकुमार) खिलाफ दायर आरोप-पत्र का आधार है. रिमांड आवेदन में भी आयकर की बात कही गयी है और यह वह अपराध है जिसके संबंध में धनशोधन की बात कही जा रही है. उन्होंने दलील दी कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शिवकुमार के खिलाफ बन रहे आय कर के मामले की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी और आय कर कानून के तहत यह अपराध गंभीर नहीं है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और कनकपुरा सीट से मौजूदा विधायक शिवकुमार मंगलवार को चौथी बार पूछताछ के लिए ईडी के समक्ष यहां उसके मुख्यालय में पेश हुए थे. कई घंटों की पूछताछ के बाद शिवकुमार को धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया.

ईडी ने शिवकुमार, नयी दिल्ली में कर्नाटक भवन के कर्मचारी हनुमनथैया और अन्य के खिलाफ पिछले साल सितंबर में धनशोधन का मामला दर्ज किया था. ईडी ने आयकर विभाग द्वारा कर अपवंचना और हवाला के जरिये करोड़ों रुपये के लेन-देन के आरोपों में बेंगलुरु की विशेष अदालत में शिवकुमार और अन्य के खिलाफ दायर आरोप-पत्र के आधार पर उनके खिलाफ धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत पिछले साल मामला दर्ज किया था.

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