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मंत्री ने की सोनिया से शिकायत, कमलनाथ सरकार को अस्थिर कर रहे दिग्विजय

धार (मध्यप्रदेश) : मध्यप्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख कर आरोप लगाया है कि दिग्विजय सिंह स्वंय को प्रदेश में पावर सेंटर के रूप में स्थापित कर कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि दिग्वियज सिंह ने मध्यप्रदेश सरकार […]

धार (मध्यप्रदेश) : मध्यप्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख कर आरोप लगाया है कि दिग्विजय सिंह स्वंय को प्रदेश में पावर सेंटर के रूप में स्थापित कर कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि दिग्वियज सिंह ने मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों को हाल ही में पत्र लिखकर तबादलों और अन्य कार्यों के बारे में लिखे गये उनके पत्रों पर की गयी कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी थी. उन्होंने सभी मंत्रियों से मिलने के लिए 31 अगस्त तक समय देने का आग्रह किया था, ताकि वह जान सकें कि उनकी सिफारिशों पर क्या कार्रवाई की गयी है. सिंह वर्ष 1993 से 2003 तक लगातार 10 साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस मामले को लेकर सिंघार ने रविवार को सोनिया गांधी को पत्र भेजा. इसे मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के विभिन्न गुटों के बीच चल रही रस्साकशी के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सोनिया को इस तरह का पत्र लिखे जाने के बारे में पूछे जाने पर सिंघार ने सोमवार को कहा, हां, मैंने सोनियाजी को पत्र लिखा है. इसमें गलत क्या है.

सिंघार ने सोनिया गांधी लिखे पत्र में कहा है, बड़े ही दुख के साथ आपको यह अवगत कराना पड़ रहा है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को पार्टी के ही कद्दावर नेता एवं सांसद दिग्विजय सिंह अस्थिर कर स्वंय को मध्यप्रदेश में पॉवर सेंटर के रूप में स्थापित करने में जुटे हैं. वह लगातार मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को पत्र लिखकर और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रहें हैं. ये पत्र मजबूत विपक्षी दलों के लिए मुद्दे बन जाते हैं. दिग्विजय सिंह के पत्र को लेकर विपक्ष आय दिन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार को घेरने के असफल प्रयास में लगा रहता है. उन्होंने लिखा है, मंत्री अपने मुख्यमंत्री के प्रति उत्तरदायित्व होता है. दिग्विजय सिंह एक राज्यसभा सदस्य हैं. वह पत्र लिखकर मंत्रियों से ट्रांसफर-पोस्टिंग का हिसाब ले रहे है, जो अनुचित है. ऐसे में तो अन्य सांसद, राज्यसभा सदस्य और नेतागण भी मंत्रियों को लिखे पत्रों का हिसाब-किताब लेना शुरू कर देंगे. यदि यह परंपरा पड़ गयी तो मंत्री सरकारी कामकाज और जनहितैषी योजनाओं को क्रियान्वयन कैसे कर पायेंगे.

सिंघार ने लिखा, आपको यह भी अवगत कराना उचित होगा कि व्यापम घोटाला, ई-टेंडरिंग घोटाला एवं पौधरोपण घोटालों को लेकर दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखे. लेकिन वे सिंहस्थ घोटाले को लेकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं, क्यों? दरअसल सिंहस्थ घोटाले से संबंधित विभाग दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह के पास है. उनके (दिग्विजय) पुत्र एवं प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक के सिंहस्थ घोटाले से संबंधित सवाल के उत्तर में कहा कि सिंहस्थ घोटाला नहीं हुआ. जबकि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने सिंहस्थ घोटाले को बड़ा मुद्दा बनाया था. सिंघार ने रविवार को धार जिले के अपने निर्वाचन क्षेत्र गंधवानी में संवाददाताओं से कहा था, दिग्विजय सिंह जी के बारे में यही कहूंगा, सरकार पर्दे के पीछे से चला रहे हैं. सबको पता है जग जाहिर है. जब सरकार चला रहे तो चिट्ठी की आवश्यकता क्यों?

इस बीच, मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने दिग्विजय का बचाव करते हुए कहा, दिग्विजय सांसद होने के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं. इसलिए उनके द्वारा मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पत्र लिखने में कुछ भी गलत नहीं है. लोग अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर उनके पास आते हैं और वह पत्र लिख कर लोगों की इन समस्याओं को निपटारा करने के लिए कहते हैं. उन्होंने कहा, दिग्विजय ने नर्मदा परिक्रमा की थी और इस दौरान बड़ी तादाद में लोगों ने अपनी समस्याओं के लिए उनसे संपर्क किया था. पत्र लिखने में कुछ भी गलत नहीं है. दिग्विजय द्वारा पर्दे के पीछे से सरकार चलाने के आरोपों के बारे में दिग्विजय के कट्टर समर्थक शर्मा ने कहा, मुख्यमंत्री कमलनाथ ही सरकार चला रहे हैं और सभी वरिष्ठ नेता और मंत्री इसमें उनका सहयोग रहे हैं.

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