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जानें, भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित होने वाले प्रणब, नानाजी और भूपेन हजारिका को

नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, जनसंघ के नेता नाना जी देशमुख और प्रख्यात गायक, संगीतकार भूपेन हजारिका को भारत रत्न से सम्मानित किया जायेग. नाना जी देशमुख और भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है. भारत रत्न सम्मान पुरस्कार की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को […]

नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, जनसंघ के नेता नाना जी देशमुख और प्रख्यात गायक, संगीतकार भूपेन हजारिका को भारत रत्न से सम्मानित किया जायेग. नाना जी देशमुख और भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है. भारत रत्न सम्मान पुरस्कार की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को हुई थी.

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में कोलकाता के छोटे गांव मराठी में हुआ था. जोकि बीरभूम जिले में पड़ता है. प्रणब मुखर्जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे. राष्ट्रपति बनने से पहले इन्होंने देश में कई अहम जिम्मेदारियां संभाली जिनमें वित्त मंत्रालय सहित कई अहम पद थे. प्रणब ने राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से अपने नेतृत्व का लोहा मनाया है.
प्रणब को कांग्रेस पार्टी का संकटमोचन कहा जाता है. वह कांग्रेस की तीन पीढ़ियों के साथ कम कर चुके हैं. प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया था. सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रीमंडल की बैठकों की अध्यक्षता की थी.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इससे पहले 2008 में दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का भी सम्मान मिल चुका है. एक सर्वेक्षण के अनुसार, साल 1984 में दुनिया के पांच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी थे. राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद भी मुखर्जी ने कई मामलों पर खुलकर अपनी राय रखी. उनके इन बयानों से पता चलता है कि अबतक उन्होंने सार्वजनिक जीवन में खुद को स्थापित रखा है.
कौन थे नानाजी देशमुख
नानाजी देशमुख को जनसंघ के स्थापकों के रूप में याद किया जाता है. 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया था. उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. उन्होंने कहा, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग सरकार से बाहर रहकर कार्य करें. साठ साल की उम्र में उन्होंने सक्रिय राजनीति से सन्यास लेकर आदर्श की स्थापना की. नानाजी का जन्म महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कडोली नामक छोटे से कस्बे में ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था. अटल के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये 1999 में पद्म विभूषण भी प्रदान किया था. डॉ॰ हेडगेवार जी के निधन के बाद नानाजी ने कई युवकों को आर.एस.एस. शाखाओं में शामिल होने के लिये प्रेरित किया था.
तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नानाजी देशमुख और उनके संगठन दीनदयाल शोध संस्थान की प्रशंसा की थी. नानाजी देशमुख ने 95 साल की उम्र में चित्रकूट स्थित भारत के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय (जिसकी स्थापना उन्होंने खुद की थी) में रहते हुए अन्तिम सांस ली.
जानिये भूपेन हजारिका को
भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे. इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे. हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था. दस संतानों में सबसे बड़े, हजारिका का संगीत के प्रति लगाव अपनी माता के कारण हुआ, जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा जनम घुट्टी के रूप में दी.
बचपन में ही उन्होंने अपना प्रथम गीत लिखा और दस वर्ष की आयु में उसे गाया. वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे. हजारिका को साल 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.

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