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लोकसभा ने सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 को दी मंजूरी, किराये की कोख पर लगेगी रोक

नयी दिल्ली : लोकसभा ने सोमवार को सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें देश में व्यावसायिक मकसद से जुड़े किराये की कोख के चलन (सरोगेसी) पर रोक लगाने, सरोगेसी पद्धति का दुरुपयोग रोकने और नि:संतान दंपतियों को संतान का सुख दिलाना सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है. निचले सदन में विधेयक […]

नयी दिल्ली : लोकसभा ने सोमवार को सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें देश में व्यावसायिक मकसद से जुड़े किराये की कोख के चलन (सरोगेसी) पर रोक लगाने, सरोगेसी पद्धति का दुरुपयोग रोकने और नि:संतान दंपतियों को संतान का सुख दिलाना सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है.

निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक में करीबी रिश्तेदार की परिभाषा पर व्यापक चर्चा की गयी है. इस पर सभी पक्षकारों से चर्चा की गयी. उन्होंने कहा कि विधेयक के संदर्भ में डाक्टर, महिलाओं, एनजीओ, राज्यों सहित विभिन्न पक्षकारों से चर्चा की गयी. सरोगेसी क्लीनिकों के नियमन की सुदृढ़ व्यवस्था की गयी है.

इस संबंध में प्रमाणन के लिए उपयुक्त प्राधिकार होगा. इसमें किसी तरह की निजता का उल्लंघन नहीं होगा. हर्षवर्धन ने कहा कि न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन, जापान, फिलीपीन, स्पेन, स्विट्जरलैंड और जर्मनी समेत अनेक देशों में व्यावसायिक सरोगेसी अवैध है. उन्होंने कहा कि केवल यूक्रेन, रूस और अमेरिका के कैलीफोर्निया प्रांत में यह वैध है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी.

इससे पहले, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि विधेयक में भारत में किराये की कोख (सरोगेसी) के चलन पर प्रभावी तरीके से विनियमन का प्रस्ताव है. इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर एक सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षो में भारत विभिन्न देशों के दंपतियों के लिए किराये की कोख के केंद्र के रूप में उभर कर आया है.

अनैतिक व्यवहार, सरोगेट माताओं के शोषण, सरोगेसी से उत्पन्न बालकों के परित्याग और मानव भ्रूणों और युग्मकों के आयात की सूचित घटनाएं हुई हैं. पिछले कुछ वर्षो में विभिन्न प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक संचार माध्यमों में भारत में वाणिज्यिक सरोगेसी की व्यापक भर्त्सना हुई है. भारत के विधि आयोग ने अपनी 228वीं रिपोर्ट में उपयुक्त विधान के माध्यम से वाणिज्यिक सरोगेसी का निषेध करने की सिफारिश की है.

सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सरोगेसी बोर्डों के गठन का उपबंध करता है. सरोगेट माता आशय वाले दंपति की निकट की नातेदार होनी चाहिए और वह पहले से विवाहित होनी चाहिए जिसका स्वयं का बालक हो. इसमें उपबंध किया गया है कि कोई व्यक्ति, संगठन, सरोगेसी क्लीनिक, प्रयोगशाला या किसी भी किस्म का नैदानिक प्रतिष्ठापन वाणिज्यिक सरोगेसी के संबंध में विज्ञापन, वाणिज्यिक सरोगेसी के माध्यम से उत्पन्न बालक का परित्याग, सरोगेट माता का शोषण, मानव भ्रूण का विक्रय या सरोगेसी के मकसद से मानव भ्रूण का निर्यात नहीं करेगा.

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