नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद के लिए न्यायमूर्ति अकील ए कुरैशी के नाम को स्वीकृति देने में केंद्र के विलंब को लेकर दायर याचिका पर विचार करने का फैसला किया है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस मामले को लेकर याचिका दायर करने वाली गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन को इस मामले में मदद के लिए इसकी एक प्रति सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. वकीलों के इस संगठन का आरोप है कि केंद्र ने अन्य उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए भेजे गये नामों को मंजूरी दी, लेकिन उसने न्यायमूर्ति कुरैशी की मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी और सात जून को न्यायमूर्ति रवि शंकर झा को मप्र उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी.
शीर्ष अदालत के तीन न्यायाधीशों के कॉलेजियम ने 10 मई को न्यायमूर्ति कुरैशी को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी. कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में कहा था कि न्यायमूर्ति कुरैशी गुजरात उच्च न्यायालय से वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं और इस समय स्थानांतरण पर बंबई उच्च न्यायालय में काम कर रहे हैं. याचिका में इस तथ्य का भी उल्लेख किया गया है कि 10 मई के बाद विभिन्न उच्च न्यायालयों में 18 अन्य अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति भी की गयी है.
याचिका में दलील दी गयी है कि न्यायमूर्ति कुरैशी को मप्र उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने में केन्द्र की अनिच्छा नियुक्ति संबंधी प्रतिवेदन प्रक्रिया के खिलाफ है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 217 का उल्लंघन है. इस एसोसिएशन के अध्यक्ष यतीन ओझा ने कथित रूप से कहा था कि न्यायमूर्ति कुरैशी ने 2010 में देश के वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह को पुलिस हिरासत में दिया था और इसीलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.