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अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का भारत ने किया स्वागत

नयी दिल्ली : भारत ने जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुधवार को वैश्विक आतंकवादी घोषित किये जाने का स्वागत किया है. उसकी इस घोषणा को भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश के सरगना अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत के पहल करने के […]

नयी दिल्ली : भारत ने जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुधवार को वैश्विक आतंकवादी घोषित किये जाने का स्वागत किया है. उसकी इस घोषणा को भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है.

पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश के सरगना अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत के पहल करने के करीब एक दशक बाद संयुक्त राष्ट्र ने यह फैसला किया. विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र के इस कदम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि अजहर का नाम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में डाले जाने का निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम है और भारत आतंकी संगठनों तथा आतंकवादी सरगनाओं को कानून के दायरे में लाने की अपनी कोशिशें जारी रखेगा. अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर चीन द्वारा अपनी रोक हटाने के बाद संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति ने बुधवार को उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने संबंधी 1267 प्रतिबंध समिति का फैसला आतंकवाद और इसके समर्थकों के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प को प्रदर्शित करने के लिए सही दिशा में है. अजहर को संरा द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने एक प्रस्ताव लाया था. लेकिन, चीन ने इसमें तकनीकी रोक के बहाने अड़ंगा लगा दिया था. कुमार ने कहा कि अजहर को प्रतिबंध सूची में डाला जाना उसकी आतंकी गतिविधियों के बारे में भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के सदस्यों के साथ साझा की गयी सूचनाओं के अनुरूप है. उन्होंने कहा, भारत अपने नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाले आतंकी संगठनों और उसके नेतृत्वकर्ताओं को न्याय के दायरे में लाये जाने को सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों के जरिए कोशिश करना जारी रखेगा.

गौरतलब है कि 2009 में भारत ने अजहर को इस सूची में डाले जाने के लिए पहली बार प्रस्ताव लाया था. इसके बाद 2016 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने प्रस्ताव लाया. फिर 2017 में भी इन्हीं तीन वैश्विक शक्तियों ने इसी तरह का प्रस्ताव लाया था. हालांकि, हर बार चीन ने इसमें अड़ंगा डाला था.

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