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भाजपा ने अपने 96 सांसदों पर नहीं जताया भरोसा

पार्टी ने सुरक्षित सीटों के 40% सांसदों का टिकट काटा गुजरात में 40%, उप्र में 30% सांसदों का हुआ पत्ता साफ हिमांशु मिश्र, नयी दिल्ली सांसदों के खिलाफ नाराजगी का असर चुनाव परिणाम पर नहीं पड़ने देने के लिए भाजपा ने सुरक्षित सीटों पर काबिज सांसदों के खिलाफ बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की है. पार्टी ने […]

  • पार्टी ने सुरक्षित सीटों के 40% सांसदों का टिकट काटा
  • गुजरात में 40%, उप्र में 30% सांसदों का हुआ पत्ता साफ
हिमांशु मिश्र, नयी दिल्ली
सांसदों के खिलाफ नाराजगी का असर चुनाव परिणाम पर नहीं पड़ने देने के लिए भाजपा ने सुरक्षित सीटों पर काबिज सांसदों के खिलाफ बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की है. पार्टी ने बीते चुनाव में सुरक्षित सीटों से जीते सांसदों में से 40 फीसदी को इस बार मौका नहीं दिया है.
पहली बार सबसे अधिक सीटों (437) पर चुनाव मैदान में उतरने वाली पार्टी ने बागियों-बुजुर्गों समेत 96 सांसदों से दूरी बनायी है. इनमें गुजरात के 25 में से 10, उत्तर प्रदेश के 71 में से 20, छत्तीसगढ़ के 10 में से 10 तो असम के 7 में से 5 सांसद टिकट पाने में नाकाम रहे हैं.
गौरतलब है कि लोकसभा में सुरक्षित सीटों की संख्या 131 (84 अनुसुचित जाति और 47 अनुसुचित जनजाति) है. पिछले चुनाव में भाजपा को इनमें 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इस चुनाव में पार्टी ने इनमें से 27 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिये हैं.
उत्तर प्रदेश की 13 सुरक्षित सीटों में से 7 पर बदले उम्मीदवार
सुरक्षित सीटों पर सांसदों के खिलाफ सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक यूपी में हुई है. यहां पार्टी ने 13 सुरक्षित सीटों पर से 7 उम्मीदवार बदल दिए हैं. इसी प्रकार महाराष्ट्र में 3, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में 5-5 सुरक्षित सीटों पर सांसदों को टिकट से वंचित किया गया है.
उत्तर प्रदेश में बागियों सहित 21 सांसदों पर गिरी गाज
भाजपा ने यूपी में पिछले चुनाव में 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार दो बागियों सहित पार्टी ने 21 उम्मीदवारों को टिकट से वंचित किया. इनमें संभल से सत्यपाल सैनी, शाहजहांपुर से कृष्णा राज, फतेहपुर सीकरी से बाबूलाल, हरदोई से अंशुल, मिश्रिख से अंजुबाला, संतकबीरनगर से शरद त्रिपाठी, देवरिया से कलराज मिश्र, अंबेडकरनगर से हरिओम पांडे, हाथरस से राजेश दिवाकर, रामपुर से नैपाल सिंह, इटावा से अशोक दोहरे, कानपुर से मुरलीमनोहर जोशी, बाराबंकी से प्रियंका रावत, कुशीनगर से राजेश पांडे, बलिया से भरत सिंह, मछलीशहर से रामचरित्र निषाद, राबर्ट्सगंज से छोटेलाल शामिल हैं.
बागियों में शामिल बहराइच से सावित्री फूले, इलाहाबाद से श्यामाचरण शुक्ल और इटावा से अशोक दोहरे दूसरे दल से चुनाव लड़ रहे हैं.
सुरक्षित सीटों पर सबसे अधिक गाज क्यों
पार्टी का शुरू से ही सुरक्षित सीटों पर व्यापक प्रभाव रहा है. यह प्रभाव पार्टी की स्थापना के बाद लगातार बढ़ता गया है. पार्टी नहीं चाहती कि सांसदों के प्रति नाराजगी का असर चुनाव के प्रदर्शन पर पड़े.
आतंरिक रिपोर्ट में भी सुरक्षित सीटों से जुड़े सांसदों के खिलाफ ही सर्वाधिक नाराजगी की बात सामने आई थी. यही कारण है कि टिकट पाने में नाकाम रहने वालों में सबसे बड़ी संख्या सुरक्षित सीटों से जुड़े सांसदों की है.

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