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विपक्ष का आरोप : राज्यसभा की बैठक एक दिन के लिए सर्वानुमति से नहीं बढ़ायी गयी, किया प्रदर्शन

नयी दिल्ली : कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को राज्यसभा की बैठक एक दिन के लिये बढ़ाये जाने के निर्णय को सत्तापक्ष का एकपक्षीय फैसला बताते हुए इसका विरोध किया. विपक्ष का आरोप है कि संसद के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब आसन से सत्र की कार्य अवधि […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को राज्यसभा की बैठक एक दिन के लिये बढ़ाये जाने के निर्णय को सत्तापक्ष का एकपक्षीय फैसला बताते हुए इसका विरोध किया. विपक्ष का आरोप है कि संसद के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब आसन से सत्र की कार्य अवधि बढ़ाने की घोषणा नहीं की गयी.

उच्च सदन में मंगलवार को जब उपसभापति हरिवंश ने बुधवार तक के लिए स्थगित किये जाने की घोषणा की तो उसके बाद विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य सदन में ही बैठे रहे. स्थगन के बाद लगभग 20 मिनट तक सदन में ही रहने के बाद विपक्षी दलों के सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में संसद भवन परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में शामिल कांग्रेस के आनंद शर्मा ने बताया, अवधि बढ़ाने पर विपक्षी दलों से कोई बातचीन नहीं की गयी. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि बिना औपचारिक घोषणा किये सदन की अवधि बढ़ा दी गयी है. शर्मा ने कहा कि विपक्ष का विरोध आरक्षण संबंधी विधेयक पर नहीं है, बल्कि सरकार के मनमाने तरीके पर है.

आजाद ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने विपक्ष से चर्चा किये बिना ही सदन की बैठक एक दिन के लिये बढ़ा दी. इतना ही नहीं आसन से इसकी सूचना सदन को दिये जाने की संसदीय परंपरा का पालन नहीं किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक के बाद एक मनमाने फैसले कर रही है. इसके विरोध में विपक्ष को बैठक की कार्यवधि बढ़ाये जाने की आसन से घोषणा किये जाने के इंतजार में स्थगन के बाद भी सदन में अतिरिक्त समय तक बैठना पड़ा. ऐसा नहीं होने पर विपक्षी दलों ने संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में कांग्रेस के अलावा सपा, राकांपा और तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, माकपा और भाकपा के सदस्यों ने हिस्सा लिया.

इस दौरान राकांपा के माजिद मेनन ने कहा कि सदन की अवधि बढ़ाने के लिए विपक्ष से कोई चर्चा नहीं की गयी और ना ही इसकी सदन में औपचारिक घोषणा हुई. यह संसदीय परंपरा और नियमों के विरुद्ध है. इस बीच संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा, नागरिकता विधेयक और सामान्य वर्ग को आरक्षण देने संबंधी दो अहम विधेयक पारित कराने के लिए सदन की बैठक एक दिन के लिए बढ़ायी गयी है. विपक्ष से चर्चा नहीं करने का आरोप सरासर गलत है. सभापति महोदय और सरकार की तरफ से लगातार इस पर चर्चा हुई. व्यापक चर्चा के बाद ही सरकार ने यह फैसला किया है.

सत्र को एक दिन के लिए बढ़ाने के फैसले की आसन से औपचारिक घोषणा नहीं किये जाने के विपक्ष के आरोप के जवाब में गोयल ने कहा जब विपक्ष के सभी नेताओं से एक बार चर्चा के बाद सभापति ने यह फैसला कर लिया और फिर सदन में नौ जनवरी को 11 बजे तक के लिए स्थगन की घोषणा किये जाने का मतलब यही है कि सत्र की अवधि एक दिन के लिये बढ़ा दिया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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