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राजस्थान चुनाव : नाथद्वारा में दस साल बाद चुनावी मैदान में सीपी जोशी, हिंदुत्व नहीं स्थानीय मुद्दे हैं हावी

-नाथद्वारा से अंजनी कुमार सिंह- अगर कोई बल्लेबाज एक रन से शतक बनाने से चूक जाये या छात्र किसी परीक्षा में एक अंक कम होने से चयनित नहीं हो पाये, तो उसे इसका मलाल जीवन भर रहता है. राजनीति में भी एक वोट की कमी से मिली हार कभी-कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर रहने […]

-नाथद्वारा से अंजनी कुमार सिंह-

अगर कोई बल्लेबाज एक रन से शतक बनाने से चूक जाये या छात्र किसी परीक्षा में एक अंक कम होने से चयनित नहीं हो पाये, तो उसे इसका मलाल जीवन भर रहता है. राजनीति में भी एक वोट की कमी से मिली हार कभी-कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर रहने का का कारण बन जाती, जिसकी कसक को भुला नहीं जा सकता है. ठीक दस साल पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी महज एक वोट से राजसमंद जिले की नाथद्वारा सीट से चुनाव हार गये थे. इस हार को शायद ही वे जीवन भर कभी भुला पायें?

इस हार के 10 साल बाद फिर सीपी जोशी नाथद्वारा से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस बार पिछली गलती को जनता दूर कर देगी. हालांकि इस बार हिंदुत्व और राम मंदिर को लेकर उनके बयान की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है, लेकिन नाथद्वारा के मतदाताओं के लिए स्थानीय मुद्दे ही प्राथमिकता सूची में है. राजपूत, ब्राह्मण और गुर्जर बहुल यह इलाका श्रीनाथ मंदिर के कारण आस्था का प्रमुख केंद्र है. यही कारण है कि सभी प्रत्याशी इस मंदिर में माथा टेककर जीत का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं. मंदिर में दर्शन करने के बाद भाजपा उम्मीदवार महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वे अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं और यहां की जनता उन्हें जिताने का मन बना चुकी है. वही दूसरी ओर सीपी जोशी गली- गली में लोगों से आशीर्वाद लेते मिले. अपनी जीत के प्रति आश्वस्त जोशी कहते हैं क्षेत्र के लोगों से पूछिए, खुद पता चल जायेगा.

जोशी के प्रचार के लिए बिहार के नेता, कार्यकर्ता और दिल्ली से उनके शुभचिंतक भी आये हैं, जो प्रचार में उनका साथ दे रहे हैं. इस क्षेत्र में लोग स्थानीय समस्या के आधार पर ही मतदान करने की बात करते हैं. आम मतदाताओं से बातचीत करने से साफ जाहिर होता है कि यहां मुकाबला सीपी जोशी और भाजपा के बीच है.भाजपा उम्मीदवार महेंद्र प्रताप सिंह कभी सीपी जोशी के करीबी थे और कांग्रेस के सदस्य थे. लेकिन इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. हालांकि 10 साल बाद मैदान में सीपी जोशी के उतरने को लेकर कुछ लोग सवाल भी उठा रहे हैं. लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि गुनजोल से नगरिया तक शहर से बीच से होकर जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 8 समस्या बन गया है. यह शहर के बीचों-बीच स्थित है. जबकि लोग बायपास की मांग कर रहे थे. उस समय सीपी जोशी केंद्रीय सड़क मंत्री थे. लोगों का कहना है कि तब उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

हालांकि लोगों का मानना है कि सीपी जोशी बड़े नेता है और उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए काफी काम किया है. गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया उदयपुर शहर से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनका पैतृक गांव देलवाड़ा नाथद्वारा में पड़ता है और यहां के लोग भी सीपी जोशी को जीतते देखना चाहते हैं. केसी सिंह गौर कहते हैं क्षेत्र के लोगों के लिए जोशी जी के रूप में एक अवसर आया है जिसे इस बार क्षेत्र की जनता इसे गंवाना नही चाहती.राजसमंद जिले में भीम, कुंभलगढ़, नाथद्वारा और राजसमंद चार विधानसभा सीटें हैं. राजसमंद से शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी चुनाव मैदान में हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला नाथद्वारा में ही है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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