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RBI vs सरकार : उर्जित पटेल ने 19 को बुलायी बैठक, नजरें टिकीं

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर और सरकार के बीच चल रही तनातनी के बीच कल सरकार की ओर से एक बयान जारी किया गया कि बैंक की स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए. टाइम्स अॅाफ इंडिया की खबर के अनुसार सरकार की ओर से यह बयान दोनों पक्षों के बीच जारी तनाव को कम […]


मुंबई :
रिजर्व बैंक के गवर्नर और सरकार के बीच चल रही तनातनी के बीच कल सरकार की ओर से एक बयान जारी किया गया कि बैंक की स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए. टाइम्स अॅाफ इंडिया की खबर के अनुसार सरकार की ओर से यह बयान दोनों पक्षों के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए दिया गया था. ऐसी जानकारी मिली है कि 19 नवंबर को गवर्नर उर्जित पटेल ने बोर्ड की बैठक बुलायी है. इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि तनाव भरे इस माहौल में ऐसी खबर आयी थी कि उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं. ऐसे में लोगों की नजरें इस बैठक पर है, क्योंकि अगर उर्जित पटेल को इस्तीफा देना होगा तो वे बैठक में इसकी घोषणा कर सकते हैं.

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आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक की इस बैठक में रिजर्व बैंक और सरकार के बीच जिन मुद्दों पर तकरार है उन पर विस्तार से चर्चा होगी. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में लिक्विडिटी और बैंकों के लिए बेसल 3 नियमों पर चर्चा होगी.गौरतलब है कि कल निवेशकों को शांत करने का प्रयास करते हुये सरकार ने कहा था कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता ‘जरूरी’ है और इसे ‘सहेज’ कर रखा जायेगा. समझा जाता है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ मतभेदों को दूर करने के लिए अब तक कभी इस्तेमाल में नहीं लाई गई आरबीआई कानून की धारा सात का उल्लेख किया है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विवाद में उलझने से बचते हुये कहा कि रिजर्व बैंक के साथ जो भी विचार विमर्श अथवा परामर्श होता है उसे कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है. रिजर्व बैंक और सरकार के बीच खींचतान को लेकर विवाद गत शुक्रवार को उस समय सतह पर आया जब रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने जोरदार भाषण में एक तरह की चेतावनी देते हुये कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को यदि कमत्तर आंका गया तो इसके ‘घातक’ परिणाम हो सकते हैं. उनकी इस बात को लेकर यह संकेत माना गया कि अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले रिजर्व बैंक को नीतियों में राहत देने के लिए मजबूर किया जा रहा है. समूचे घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत विभिन्न मुद्दों को लेकर कम से कम तीन पत्र भेजे हैं.

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आरबीआई कानून की धारा सात केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित के मुद्दों पर केन्द्रीय बैंक के गवर्नर को सीधे निर्देश जारी करने का अधिकार देती है.केन्द्र और रिजर्व बैंक के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद उभरे हैं.सार्वजनिक क्षेत्र के कमजोर बैंकों के कामकाज में सुधार के उपायों, प्रणाली में नकदी की तंगी और बिजली क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या से निपटने से जुड़े मुद्दे हैं जिनपर मतभेद कुछ ज्यादा है.अपुष्ट खबरों के मुताबिक इन मतभेदों को लेकर स्थिति यहां तक पहुंच गई कि रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा देने का मन बना चुके थे.सरकार यदि कोई अप्रत्याशित कदम उठती तो ऐसा हो सकता था.

बहरहाल, वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक को नोटिस भेजे जाने की स्वीकारोक्ति के बिना जारी किये एक वक्तव्य में कहा, ‘‘आरबीआई कानून के दायरे में केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता एक जरूरी और संचालन में स्वीकार्य आवश्यकता है.भारत सरकार इसका सम्मान करती है और इसे सहेज कर रखती है.’ देर शाम एक संवाददाता सम्मेलन में जेटली से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा जारी बयान से आगे इस मुद्दे पर कहने के लिए उनके पास कुछ नहीं है. संवाददाता सम्मेलन कारोबार सुगमता पर जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 23 स्थान बढ़कर 77वें स्थान पर पहुंचने को लेकर बुलाई गई थी.

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