नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल में सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ के समक्ष एक वकील ने अनुरोध किया कि पुनर्विचार याचिका सहित सभी याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया. पीठ ने कहा, सबरीमला मंदिर पांच और छह नवंबर के बीच सिर्फ 24 घंटे के लिए खुल रहा है और हम पहले ही सुनवाई के लिए 13 नवंबर की तारीख निर्धारित कर चुके हैं. इसके बाद भी वकील ने जब शीघ्र सुनवाई के अनुरोध को दोहराया तो पीठ ने कहा, आपको सिर्फ अपनी बारी का इंतजार करना होगा. न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई होगी.
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से इस मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी. न्यायालय का कहना था कि एक आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक भेदभाव है. पीठ ने कहा था कि राष्ट्रीय अय्यप्पा श्रद्धालु एसोसिएशन की नयी याचिका और 19 पुनर्विचार याचिकाएं 13 नवंबर को अपराह्न तीन बजे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध होंगी. न्यायालय का फैसला आने से पहले तक इस मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. शीर्ष अदालत के इस फैसले को लेकर केरल की पहाड़ी पर स्थित इस प्राचीन मंदिर के पास जबर्दस्त विरोध और जवाबी विरोध हुआ था.