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..तो बच सकती थी मुंडे की जान : हर्षवर्धन

नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आज कहा कि ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे ने अगर सीट बैल्ट लगायी होती तो शायद उनकी जान बच सकती थी. हर्षवर्धन ने इसके साथ ही गाडी चलाते समय सुरक्षा उपाय के रुप में सीट बैल्ट लगाने के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए बडा अभियान चलाने का […]

नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आज कहा कि ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे ने अगर सीट बैल्ट लगायी होती तो शायद उनकी जान बच सकती थी.

हर्षवर्धन ने इसके साथ ही गाडी चलाते समय सुरक्षा उपाय के रुप में सीट बैल्ट लगाने के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए बडा अभियान चलाने का भी ऐलान किया.दिवंगत नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के बीड रवाना होने से पूर्व हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘सीट बैल्ट पहनने से हो सकता है कि मुंडे की जान बच जाती. एक गलतफहमी के कारण मैंने अपने दोस्त को खो दिया. अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि पिछली सीट की सीट बैल्ट केवल दिखावे के लिए होती है. वास्तव में पिछली सीट पर बैल्ट पहनना उतना ही जरुरी होता है जितना अगली सीट पर बैठे यात्री के लिए.

टक्कर या आघात की स्थिति में सीट बैल्ट जान बचा सकती है.’’ मुंडे की कल सुबह मध्य दिल्ली में एक सडक हादसे में अंदरुनी चोटों के कारण मौत हो गयी थी.हर्षवर्धन ने सूचित किया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय जल्द ही गाडी चलाते समय सुरक्षा उपायों के संबंध में लोगों को जागरुक बनाने के लिए एक अभियान चलाएगा. उन्होंने बताया कि गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर एक मल्टी मीडिया प्रचार अभियान चलाने पर विचार किया जा रहा है जिसका मकसद सुरक्षा होगा.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बच्चे भी गलत रोल माडल की पूजा करते हैं. गलत तरीके से ड्राइविंग या तेज गति से बाइक चलाने वालों के महिमामंडन के बजाय बच्चों को जिंदगी के सही रास्ते की ओर ले जाया जाना चाहिए. हर्षवर्धन ने बताया कि एक वाहनचालक द्वारा लाल बत्ती तोडकर कथित रुप से मुंडे की कार में टक्कर मारे जाने के कुछ ही सेकेंड के भीतर मुंडे की मौत हो गयी.

हर्षवर्धन ने जोर देकर कहा, ‘‘ गोपीनाथ मुंडे के हादसे को एक महत्वपूर्ण मोड के रुप में देखना चाहिए. मंत्री की त्रसदपूर्ण और असामयिक मौत सभी वाहन चालकों की आंखें खोलने वाली होनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि मंत्री की कार को अधिक नुकसान नहीं हुआ लेकिन जिस तेज गति से वह आगे की ओर गिरे उससे उनकी गर्दन के जोड की एटलांटो एक्सिल को नुकसान पहुंचा और रीढ की हड्डी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी.हर्षवर्धन ने बताया कि ब्रेन स्टेम को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाएं बाधित हो गयी और यह उनके तुरंत हृद्याघात का कारण बना. इसके अलावा , उनके लीवर को भारी चोट पहुंची जिससे बडी मात्रा में रक्त बह गया.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह सोचकर ही सुन्न पड जाता हूं कि राष्ट्र ने एक अनमोल जननायक खो दिया जिनका महाराष्ट्र में एक शानदार रिकार्ड था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ अब मुङो अहसास होता है उन असंख्य लोगों के बारे में जिन्होंने अपने करीबी लोगों को कार हादसों में केवल इसलिए खो दिया क्योंकि उन्होंने सीट बैल्ट के महत्व की अनदेखी की.’’ हर्षवर्धन ने कई ऐसे बहुचर्चित हादसों का उल्लेख किया जो इस गंभीर लापरवाही के कारण हुए.उन्होंने कहा कि ऐसा ही एक हादसा ब्रिटेन की राजकुमारी डायना की अगस्त 1997 में हुई मौत थी जब उनकी तेज गति से जा रही कार पेरिस में एक अंडरपास में एक स्तंभ से जा टकरायी थी.

उन्होंने कहा, बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि कार में सवार चार लोगों में से एकमात्र जिंदा बचे डायना के बाडीगार्ड ट्रेवोर रीस जोंस ने अपनी जान बचने का एकमात्र कारण सीट बैल्ट पहनने को बताया था जबकि बाकी तीनों राजकुमारी डायना, उनके मित्र डोडी फयाद और चालक हेनरी पाल ने इसकी अनदेखी की थी.इसी प्रकार 2007 में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा भी एक सडक हादसे में मारे गए थे. हर्षवर्धन ने कहा कि यदि उन्होंने सीट बैल्ट पहनी होती तो उनकी भी जान बच सकती थी.

हर्षवर्धन ने कहा कि किसी भी कीमत पर यूरोपीय संघ की तर्ज पर एक नया कानून बनाने की जरुरत है जिसमें सीट बैल्ट और हेलमेट नहीं पहनने को दंडनीय बनाया जाए.उन्होंने इसे भी रेखांकित किया कि सीट बैल्ट की अनदेखी करने के साथ ही नई पीढी के चालक और बाइकर्स गाडी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करने और यहां तक मैसेज भेजने में भी लगे रहते हैं.उन्होंने कहा, यह इतने बडे पैमाने पर हो रहा है कि कोई भी यह सोचेगा कि लोगों को सुरक्षा की जरुरी शिक्षा भी नहीं है.

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