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अम्मा की पार्टी ने करुणानिधि के लिए मांगा भारत रत्न, द्रविड़ राजनीति को मिला स्वर

नयी दिल्ली: राजनीति संभावनाओं का खेल है और इसमें कल्पनीय चीजें भी संभव हैं. दो बिल्कुल अलग ध्रुव एक साथ आ सकते हैं और दुश्मन दोस्त बन सकते हैं. ऐसा ही वाकया तमिलनाडु की राजनीति के दो ध्रुव द्रमुक व अन्नाद्रमुक के बीच देखने को मिला. अन्नाद्रमुक ने आज द्रमुक पार्टी के दिवंगत नेता एम […]

नयी दिल्ली: राजनीति संभावनाओं का खेल है और इसमें कल्पनीय चीजें भी संभव हैं. दो बिल्कुल अलग ध्रुव एक साथ आ सकते हैं और दुश्मन दोस्त बन सकते हैं. ऐसा ही वाकया तमिलनाडु की राजनीति के दो ध्रुव द्रमुक व अन्नाद्रमुक के बीच देखने को मिला. अन्नाद्रमुक ने आज द्रमुक पार्टी के दिवंगत नेता एम करुणानिधि को भारत रत्न देने की मांग कर सबको चौंका दिया है.

पार्टी की ओर से आज राज्यसभा में यह मांग उठायी गयी. उच्च सदन में अन्नाद्रमुक के तिरुची शिवा ने शून्य काल के दौरान करुणानिधि के सामाजिक और राजनीतिक योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि वह इस सम्मान के लिए सर्वथा योग्य हैं. उन्होंने सरकार से इस दिशा में सकारात्मक तौर पर विचार करने की मांग की. शिवा ने कहा कि करुणानिधि ने न सिर्फ जातीय आधार पर व्याप्त सामाजिक भेदभाव के खिलाफ सफल आंदोलन का आगाज किया था बल्कि साहित्य, अभिनय और कला के क्षेत्र में भी उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं.

उन्होंने करुणानिधि के बहुमुखी व्यक्तित्व का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कविता और लघु कथा लेखन तो किया ही था, साथ ही उन्होंने 80 फिल्मों की पटकथा भी लिखी. इसके अलावा दक्षिण में द्रविड़ आंदोलन के नेता के रूप में करुणानिधि के उल्लेखीय योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है. शिवा ने कहा कि सभी क्षेत्रों में उनके योगदान और प्रतिभा का देखतेहुए करुणानिधि देश के शीर्ष नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ केलिए योग्य व्यक्ति हैं. उन्होंने सरकार से इस दिशा में यथाशीघ्र सकारात्मक पहल करने की मांग की.


अन्नाद्रमुक की इस मांग के पीछे क्या है वजह?

अन्नाद्रमुक की दिवंगत नेता जयललिता व द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि द्रविड़ राजनीति के दो ध्रुव थे. इन दोनों नेताओं के इर्द-गिर्द ही बीते तीन-चार दशक से द्रविड़ राजनीति घूमती रही. जयललिता के निधन के बाद पिछले साल अन्नाद्रमुक ने उनके लिए भी भारत रत्न की मांग की थी. इसके लिए बकायदा मद्रास हाइकोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गयी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था.

अब द्रविड़ राजनीति के दूसरे केंद्र करुणानिधि का भी निधन हो गया है. ऐसे में अन्नाद्रमुक ने उनके लिए भारत रत्न की मांग उठा दी. संभव है कि उसकी रणनीति केंद्र पर दबाव बनाने की हो, ताकि द्रमुक प्रमुख को यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलने पर द्रविड़ राजनीति के दूसरे ध्रुव को भी यह सम्मान देने पर सरकार स्वत: राजी हो जाये. अन्नाद्रमुक ने करुणानिधि के बहाने केंद्रीय राजनीति में द्रविड़ अस्मिता को स्वर दिया है.

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