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पद्मभूषण कवि गोपाल दास नीरज नहीं रहे, एम्स में ली अंतिम सांस

नयी दिल्ली : हिंदी के जाने-माने गीतकार-कवि गोपाल दास नीरज अब हमारे बीच नहीं हैं. गुरुवार की शाम को नयी दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया. उनकी तबीयत मंगलवार को खराब हो गयी थी, जिसके बाद उन्हें आगरा के लोटस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. नीरज को फेफड़े में संक्रमण कीवजह से […]

नयी दिल्ली : हिंदी के जाने-माने गीतकार-कवि गोपाल दास नीरज अब हमारे बीच नहीं हैं. गुरुवार की शाम को नयी दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया. उनकी तबीयत मंगलवार को खराब हो गयी थी, जिसके बाद उन्हें आगरा के लोटस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.

नीरज को फेफड़े में संक्रमण कीवजह से सांस लेने में दिक्कत थी. तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली के एम्स ले जाया गया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवली गांव में जन्मे गोपाल दास नीरज हिंदी मंचों केलोकप्रिय कवि थे. उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए कई गाने भी लिखे, जो सुपरहिट रहे. उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

‘शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब’के अलावा, ‘ए भाई! जरा देख के चलो’, ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’, ‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’ जैसे बेजोड़ गीतों ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया. उनके एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं.

इसके अलावा, उन्हें अपनी लेखनी के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं. इनमें 1991 में पद्मश्री, 2007 में पद्मभूषण भी शामिल है. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती सम्मान से भी सम्मानित किया.

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