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आखिर पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और खाड़ी के ही देशों में क्यों शरण लेते हैं भारतीय अपराधी, जानते हैं…?

नयी दिल्ली : अरबों रूपये की धोखाधड़ी के आरोपों के बाद भारत छोड़कर भाग चुके हीरा कारोबारी नीरव मोदी के ब्रिटेन में होने की खबर है, जहां उसने भारत में राजनीतिक प्रतिशोध का दावा करते हुए राजनीतिक शरण की मांग की है. मोदी पर अपने मामा मेहुल चौकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक के […]

नयी दिल्ली : अरबों रूपये की धोखाधड़ी के आरोपों के बाद भारत छोड़कर भाग चुके हीरा कारोबारी नीरव मोदी के ब्रिटेन में होने की खबर है, जहां उसने भारत में राजनीतिक प्रतिशोध का दावा करते हुए राजनीतिक शरण की मांग की है. मोदी पर अपने मामा मेहुल चौकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक के साथ 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है. पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी का ब्रिटेन में शरण लेने की खबर आने के बाद चर्चा का बाजार एक बार फिर से गर्म हो गया है कि आखिर भारत के जालसाज, धोखेबाज, बड़े अपराधी और आतंकवादी छिपने के लिए आखिर पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और खाड़ी देशों में ही क्यों शरण क्यों लेते हैं?

इसे भी पढ़ें : राजनीतिक शरण के लिए भाग कर ब्रिटेन पहुंचा नीरव मोदी

भारत में आईपीएल शुरू कराने में अहम भूमिका निभाने वाले क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या के बाद अनेक ऐसे बड़े अपराधी हैं, जिन लोगों ने ब्रिटेन, उत्तरी अमेरिका और खाड़ी के देशों में शरण ले रखी है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी भी है कि आखिर भारत से फरार होने वाले खुर्राट और खूंखार बड़े अपराधी इन देशों में ही शरण क्यों लेते हैं? यह सवाल तो अहम है ही, लेकिन इसके पहले इस सवाल का जवाब जानना भी बेहद जरूरी है.

निवास के लिए उदार कानून सबसे बड़ा हथियार

दरअसल, भारत से फरार होने वाले बड़े अपराधी पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और खाड़ी देशों में इसलिए शरण लेते हैं, क्योंकि यहां के निवासी कानून काफी उदार हैं. इसके अलावा, कराधान के नियम भी सरल हैं, राजनीतिक शरण से जुड़े नियम सरल हैं और ये लोग वहां अक्सर मानवाधिकार और आजादी के अधिकार की आड़ लेते हैं.

दूसरे देश भागने वाले अपराधियों की फेहरिस्त लंबी

भारत से भागकर दूसरे देशों में शरण लेने वालों की फेहरिस्त काफी लंबी है. इसमें कनाडा और ब्रिटेन चले गये सिख उग्रवादियों, भोपाल गैस लीक कांड के बाद भागे वॉरेन एंडरसन, ब्रिटेन में आसरा लिए ललित मोदी और विजय माल्या जैसों के नाम शामिल हैं. इस लिस्ट में देश में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले दाऊद इब्राहिम और कश्मीर के आतंकवादी गिरोहों के सरगना और उनके समर्थक भी हैं.

अपराधियों को भारत प्रत्यर्पित करने में कई देशों ने दिया है साथ

हाल के वर्षों सहित पिछले एक दशक में यूएई, थाईलैंड और बांग्लादेश जैसे देशों ने भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने और आपराधिक साजिश करने के आरोपियों को भारत लाने में सरकार की मदद की है, लेकिन हाई प्रोफाइल अपराधियों को भारत प्रत्यर्पित किये जाने के मामले बहुत कम हुए हैं. भारत में प्रत्यर्पण कभी आसान नहीं रहा है, क्योंकि अपराधियों को स्थानीय कानूनों के तहत राहत मिल जाती है और कुछ मामलों में ऐसे लोगों को स्थानीय सरकारें सुरक्षा देती हैं.

प्रत्यर्पण के लिए ठुकराया जा सकता है भारत सरकार का अनुरोध

दूसरी बात यह भी है कि भारत से भागे हुए आरोपियों को वापस भेजे जाने की सरकार का अनुरोध कई आधार पर ठुकराया जा सकता है. मिसाल के तौर पर, पश्चिमी देशों में समलैंगिक संबंध कानूनी है. इसलिए भारत किसी ऐसे पश्चिमी देश से अपने किसी नागरिक को वापस लाने का अनुरोध नहीं कर सकता, जिस पर समलैंगिकता से जुड़े किसी अपराध में शामिल होने का आरोप होगा. जिन लोगों ने भारत में राजनीतिक उत्पीड़न होने की आशंका के आधार पर किसी देश में शरण ली है, तो उन्हें भी वापस भारत नहीं भेजा जा सकता.

मौत की सजा देने के अंदेशा में प्रत्यर्पण नहीं होता आसान

कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां मौत की सजा पर पाबंदी है. अगर कोई भगोड़ा ऐसे देश में शरण लेता है और वहां की सरकार सोचती है कि उसे भारत भेजने पर मौत की सजा मिल सकती है, तो वह इसके लिए मना कर देगी. ब्रिटेन में भारत के बहुत से भगोड़े हैं और वहां अपने अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करने वाले शख्स को कानूनी तौर सुरक्षा देने का नियम है.

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