तिरुअनंतपुरम : केरल में ‘निपाह वायरस’ से अबतक 10 लोगों की मौत हो चुकी है, साथ ही दो अन्य को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. गौरतलब है कि निपाह वायरस से मौत की खबर कल मंगलवार को सामने आयी. 10 लोगों की मौत के बाद पूरे प्रदेश में लोग दहशत में हैं, व्हाट्सएप मैसेज के जरिये कई अफवाहें भी फैल रही हैं.
इधर ऐसी खबरें आ रहीं है कि कर्नाटक के मंगलोर शहर में भी एक व्यक्ति के इस वायरस से संक्रमित होने की आशंका जतायी जा रही है. उसका ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजा जा चुका है. केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने बताया कि पिछले 24 घंटे में ऐसी सूचना नहीं मिली है कि केरल में कोई और व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आया हो. उन्होंने बताया कि इस बात के पूरे इंतजाम किये जा रहे हैं कि किसी व्यक्ति की मौत इस बीमारी की चपेट में आने से ना हो.
उन्होंने कहा कि सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और डब्ल्यूएचओ को भी इस बारे में सूचित कर दिया गया है. केंद्र ने भी निपाह वायरस के फैलाव को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई की है और एक टीम को केरल भेजा है. केरल को हाई अलर्ट पर रखा गया है और दो कंट्रोल रूम भी खोले गये हैं. निपाह वायरस के खतरे को देखते हुए केरल के आस-पास के राज्यों को हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है ताकि वायरस के फैलाव को रोका जा सके.
निपाह वायरस का फैलाव 90 के दशक में पहली बार मलेशिया के एक गांव में देखा गया था, उस वक्त यह सूअर के माध्यम से फैलता था. भारत में सबसे पहले यह वायरस जनवरी 2001 में सिलीगुड़ी में पाया गया था. उस वक्त 66 केस सामने आये थे जिनमें से 45 की मौत हो गयी थी.जबकि अप्रैल 2007 में यह वायरस पश्चिम बंगाल के नादिया जिला तक पहुंच गया था.
कैसे फैलता है वायरस
संक्रमित चमगादड़, संक्रमित सूअर और एनआईवी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर वायरस फैलता है.
संक्रमित चमगादड़ के खाये फलों का सेवन करने से फैलता है. खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्शन की चपेट में जल्दी आते हैं.
क्या हैं इसके लक्षण
वायरस से प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है.
तेज बुखार और सिर में जलन, आलस , याददाश्त पर असर, कंफ्यूजन होना.
सही समय पर इलाज नहीं होने पर संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है.
निपाह वायरस के रोगी 24-48 घंटों के भीतर कोमा में जा सकते हैं.
इससे ब्रेन में सूजन आ जाती है.
निपाह वायरस से कैसे बचें
सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित ना हुआ हो.
चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खायें.
बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें.