मुंबई : केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए शिवसेना ने बुधवार को कहा कि एससी/एसटी कानून के प्रावधानों को हल्का करने का विरोध कर रहे दलितों द्वारा बुलाये गये भारत बंद के दौरान हुई हिंसा ‘कमजोर’ और ‘स्वार्थी नेतृत्व’ को दर्शाती है. शिवसेना ने करोड़ों रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले को उठाते हुए कहा कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने देश को ‘लूटा’, जबकि मौजूदा सरकार देश को ‘तोड़’ रही है. उसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सड़कों पर उतरना भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर की विचारधारा के खिलाफ जाने जैसा है.
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शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में कटु वार करते हुए कहा कि जब नेतृत्व कमजोर और स्वार्थी होता है, तब हिंसा की घटनाएं होती हैं. उसने कहा कि देश को एक बार धर्म के नाम पर विभाजित किया गया था. अगर इसे जाति के नाम पर एक बार फिर तोड़ा जा रहा है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहां हैं और वह क्या कर रहे हैं? एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) कानून के कुछ प्रावधानों को हल्का करने का विरोध कर रहे दलित संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाये गये भारत बंद में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हो गये.
भाजपा के इन आरोपों पर कि कांग्रेस चुनावों के मद्देनजर ‘तनाव को हवा दे रही है’, शिवसेना ने कहा कि अगर कुछ लोग यह दावा कर रहे हैं कि दलितों को सड़कों पर आने के लिए भ्रमित किया जा रहा है, तो यह आसनसोल (पश्चिम बंगाल) में हुए दंगों के मामले में भी सच है, जहां अपने राजनीतिक लाभ के लिए एक पार्टी कथित तौर पर अशांति फैला रही है. राम नवमी के जश्न को लेकर आसनसोल-रानीगंज में दो समूहों के बीच झड़पें हुई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी और दो पुलिस अधिकारी घायल हो गये.
वोट के लिए दंगा भड़काना राजनीतिक भ्रष्टाचार
केंद्र में सत्तारूढ़ राजग पर बरसते हुए शिवसेना ने कहा कि वोटों के लिए सामाजिक विभाजन करना और दंगे भड़काना राजनीतिक भ्रष्टाचार है. नीरव मोदी ने देश को लूटा, जबकि मौजूदा सरकार देश को तोड़ रही है. साथ ही, पार्टी ने इस पर हैरानी जतायी कि गिरफ्तारी से पहले जांच करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में गलत क्या है. यह फैसला इसलिए दिया गया कि इस कानून का गलत इस्तेमाल न किया जाये. पार्टी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अत्याचार कानून को हल्का करने की कोई मंशा नहीं है, लेकिन वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इसका गलत इस्तेमाल न हो. इसमें कुछ गलत नहीं है.
सड़क पर उतरना बाबा साहेब की विचारधारा के खिलाफ
संपादकीय में लिखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ सड़कों पर आना डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की विचारधारा के खिलाफ जाने जैसा है. शिवसेना ने कहा कि 25 साल पहले अयोध्या में व्यापक अशांति फैली थी और आज जब मोदी-शाह सरकार सत्ता में है, तो उन्होंने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में खींचने के सिवाय राम मंदिर पर कोई फैसला नहीं लिया है. अगर अदालत को स्वतंत्र होकर काम नहीं करने दिया गया, तो हम इससे ज्यादा मुश्किल वक्त का सामना करने जा रहे हैं.
पुनर्विचार याचिका को बताया बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान
केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी जनता के बीच लोकप्रिय हैं, तो उन्हें दलितों को हिंसा करने से रोकने के प्रयास करने चाहिए. पार्टी ने कहा कि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने अपनी जिंदगी की परवाह नहीं की और वे दंगाइयों के बीच गये तथा उनकी परेशानियां सुनी. शिवसेना ने कहा कि यहां तक कि मौजूदा प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को यह करना चाहिए. पुनर्विचार याचिका दाखिल करना स्थिति से भागना और डॉ बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान करने जैसा है.