अहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था दी है कि विवाह में बिना सहमति के बनाये गये शारीरिक संबंध को बलात्कार की संज्ञा नहीं दी जा सकती है, हालांकि कोर्ट ने यह कहा कि अपनी पत्नी को अप्राकृतिक और ओरल सेक्स के लिए बाध्य करना क्रूरता है.
कोर्ट ने यह व्यवस्था एक डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दी जिसकी पत्नी ने उसके खिलाफ रेप और शारीरिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करायी है. महिला की शिकायत के खिलाफ उसका पति हाईकोर्ट पहुंच गया था और उसके आरोपों को खारिज करने की मांग की थी.
अपनी शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि उसका पति उसे हमेशा इच्छा के विपरीत सेक्स के लिए बाध्य करता है. साथ ही वह उसपर ‘ओरल सेक्स’ और ‘अप्राकृतिक सेक्स’ के लिए भी बाध्य करता है.
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने अपने निर्णय में कहा कि पत्नी की सहमति के बिना उसके साथ संभोग करना बलात्कार नहीं है. इसके लिए उसके पति पर बलात्कार का केस नहीं चलाया जा सकता है. चूंकि पत्नी के साथ सेक्स वैवाहिक संबंधों का आधार है इसलिए इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, बशर्ते की पत्नी 18 साल से कम की ना हो.