नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सीबीएसई से सवाल किया कि यदि वह 10 वीं की गणित की पुन: परीक्षा करवाना चाहता है, तो उसकी योजना क्या है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीएसई से कहा कि वह 10वीं की गणित की संभावित पुन: परीक्षा कराने की योजना से उसे अवगत कराये.
सीबीएसई ने अदालत को सूचित किया था कि वह नये सिरे से परीक्षा की तिथि घोषित करने से पहले लीक की गंभीरता और व्यापकता का आकलन कर रहा है. अदालत ने सीबीएसई की 12वीं के अर्थशास्त्र और 10वीं के गणित का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग करनेवाली याचिका पर सीबीएसई और केंद्र से जवाब भी मांगा है. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने सीबीएसई से पूछा कि वह कैसे पुन: परीक्षा के लिए जुलाई तक इंतजार कर सकता है और विद्यार्थियों को यूं अधर में लटकाये रह सकता है. अदालत ने कहा कि इससे ना सिर्फ विद्यार्थियों का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद होगा, बल्कि यह ‘उनके सिर पर नंगी तलवार लटकते रहने जैसा है.’ सीबीएसई ने कहा कि उसने 10वीं की गणित की पुन: परीक्षा करवाने पर अभी तक फैसला नहीं लिया है. वह अभी आंकलन कर रही है कि पर्चा पूरे देश में लीक हुआ था या सिर्फ दिल्ली और हरियाणा में.
अदालत ने दलीलें सुनने के बाद सीबीएसई से कहा कि वह इस संबंध में फैसला करे और 16 अप्रैल तक उसे सूचित करे. पीठ ने कहा कि 10वीं कक्षा भी विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके परीक्षा परिणाम से ही तय होता है कि 11वीं और 12वीं में वह किस विषय की पढ़ाई करेंगे. सीबीएसई ने12 वीं कीअर्थशास्त्र की पुन: परीक्षा 25 अप्रैल को कराने की घोषणा कर दी है. अदालत के समक्ष सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गयी थी. पीठ उसी पर सुनवाई कर रही थी.
गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से दायर याचिका में 10वीं की गणित की पुन: परीक्षा जुलाई की बजाय अप्रैल में करवाने की भी मांग की गयी है. इसके अलावा अधिवक्ता अशोक अग्रवाल की ओर से दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि अर्थशास्त्र और गणित की पुन: परीक्षाओं में बच्चों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में नरमी बरती जाये.