नयी दिल्ली/ इस्लामाबाद : भारत और पाकिस्तान ने घोषणा की है कि वे राजनयिकों के बारे में सभी मुद्दों को पारस्परिक तौर पर सुलझाने के लिए राजी हो गये हैं. एक-दूसरे के राजनयिकों को सताये जाने के बारे में दोनों देशों के आरोप-प्रत्यारोप के बाद यह सहमति बनी है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और पाकिस्तान में राजनयिक/दूतावासके कर्मी से बर्ताव की आचार संहिता, 1992 की तर्ज पर दोनों देश राजनयिकों और राजनयिक परिसरों से बर्ताव से जुड़े विषयों को सुलझाने के लिए पारस्परिक तौर पर सहमत हुए हैं.
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पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय कार्यालय ने भी इसी तरह का एक बयान जारी किया है. यह संहिता दोनों देशों के राजनयिक और वाणिज्य दूतावास अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप सुगम एवं निर्बाध कामकाज मुहैया करने के लिए है. संहिता में यह भी कहा गया है कि दोनों देशों को मौखिक एवं शारीरिक प्रताड़ना, फोन लाइन काटे जाने आदि जैसे हस्तक्षेपकारी और आक्रामक निगरानी एवं कार्यों का सहारा नहीं लेना चाहिए.
इस महीने की शुरुआत में भारत ने पाकिस्तान से इस्लामाबाद दूतावास में काम कर रहे अपने अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था. नयी दिल्ली ने कहा था कि वे लोग लगातार सताये और धमकाये जा रहेहैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में 22 मार्च को भारतीय उच्चायोग ने वरिष्ठ अधिकारियों को सताये जाने की तीन घटनाओं का विशेष रूप से जिक्र किया था.
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वहीं, पाकिस्तान ने दावा किया था कि सात मार्च से उसके राजनयिकों को सताये जाने और धमकाये जाने की करीब 26 घटनाएं हुई हैं. इसके बाद पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त सोहैल महमूद को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए स्वदेश बुलाया था. हालांकि, वह 22 मार्च को नयी दिल्ली लौट गये.
इस बीच,शुक्रवार की घोषणा के बाद पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि राजनयिकों से बर्ताव से जुड़े 1992 के तंत्र के तहत इस विषय का हल किया जायेगा. बहरहाल, फिलहाल यह मालूम नहीं है कि राजनयिकों को लेकर मौजूदा तनाव को दूर करने के लिए कहां और कैसे सहमति बनी.