नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विभिन्न दलों के विपक्षी नेताओं ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर एससी/एसटी (उत्पीड़न निरोधक) कानून को शिथिल करने पर अपनी चिंता जतायी और उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की.
विपक्षी नेताओं ने कहा कि इस बारे में उच्चतम न्यायालय के ताजा फैसले से ‘दलितों में असुरक्षा की भावना’ पैदा हुई है. राहुल के साथ बसपा, राकांपा, माकपा, सपा, द्रमुक एवं अन्य दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से बुधवार की शाम मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. राहुल ने इस मुलाकात के बाद विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति में संवाददाताओं से कहा, ‘हमने अजा-अजजा कानून को शिथिल करने के बारे में राष्ट्रपति से मुलाकात की. उत्पीड़न (दलितों पर) बढ़ रहे हैं तथा कानून को कमजोर किया जा रहा है. राष्ट्रपति काफी सकारात्मक और मददगार थे.’ यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रपति ने उन्हें कोई आश्वासन दिया, राहुल ने कहा, ‘वह पहले आकलन करेंगे और समुचित कार्रवाई करेंगे.’
बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से कहा कि सरकार ने मामले का ढंग से प्रतिनिधित्व नहीं किया, इसी कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. मिश्रा ने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से कहा कि मुद्दे का प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व नहीं किया गया और मांग की सर्वोच्च न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दायर की जानी चाहिए.’ राष्ट्रपति को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया, ‘फैसले के बाद बहुत ही असहजता है तथा दलित समुदाय एवं अन्य उत्पीड़त वर्गों के सदस्यों में असुरक्षा की भावना है. सरकार ने यदि फौरन कदम नहीं उठाये, तो हमें भय है कि यह कहीं कुछ ऐसा रूप न ले ले जो राष्ट्रीय आपदा से कम नहीं हो.’ माकपा नेता टी के रंगराजन ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि शीर्ष न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि वह (राष्ट्रपति) इस बारे में उपचारात्मक कदम उठायेंगे और न्याय किया जायेगा.’
इससे पहले राहुल ने ट्विटर पर कहा था, ‘अजा-अजजा उत्पीड़न निरोध कानून में गिरफ्तारी के प्रावधानों को शिथिल करने की उच्चतम न्यायालय का फैसला भारत भर में दलितों एवं आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न की पृष्ठभूमि में आया है.’ राष्ट्रपति को सौंपे गये ज्ञापन में केंद्र सरकार पर हमला बोला गया है. इसमें कहा गया कि उच्चतम न्यायाल का फैसला ऐसे समय में आया है, जबकि देश भर के दलित संकट भरी स्थिति का सामना कर रहे हैं. देश में जगह-जगह होनेवाले उत्पीड़नों के कारण कई परिवार तबाह हो चुके हैं. ज्ञापन में आरोप लगाया गया, ‘इससे वर्तमान सरकार के दोहरे चेहरे का पता चलता है. एक अदालत के भीतर तथा दूसरा बाहर, जनता एवं मीडिया के समक्ष.’ ज्ञापन में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की गयी है.