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टीडीपी ने एनडीए से समर्थन लिया वापस, आज नो काॅन्फिडेंस मोशन लायेगी YSR कांग्रेस

नयी दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस समय मुश्किलों में घिरी हुर्इ लग रही है. टीडीपी ने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया है. इसके साथ ही, अभी हाल ही में टीडीपी का सरकार से बाहर होने के बाद आंध्र प्रदेश की ही दूसरी पार्टी वार्इएसआर कांग्रेस भी सियासी चाल चल दी […]

नयी दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस समय मुश्किलों में घिरी हुर्इ लग रही है. टीडीपी ने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया है. इसके साथ ही, अभी हाल ही में टीडीपी का सरकार से बाहर होने के बाद आंध्र प्रदेश की ही दूसरी पार्टी वार्इएसआर कांग्रेस भी सियासी चाल चल दी है. दक्षिण भारत की राजनीति में अपनी धमक रखने वाली वार्इएसआर कांग्रेस केंद्र सरकार के खिलाफ शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य वाईवी सुब्बारेड्डी ने लोकसभा महासचिव को नोटिस देकर 16 मार्च की कार्यसूची में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव शामिल करने का अनुरोध किया है.

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इस मुद्दे पर हाल ही में सरकार से अलग हुई टीडीपी वाईएसआर कांग्रेस के साथ है. अब सबकी निगाहें कांग्रेस, टीएमसी समेत अन्य दलों के रुख पर है. अगर इस प्रस्ताव को जरूरी 50 सांसदों का साथ मिला, तो शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन जुटाने के लिए वाईएसआर कांग्रेस ने कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन इस कवायद में उसे सफलता मिलने की संभावना न के बराबर है. अविश्वास प्रस्ताव पर वार्इएसआर कांग्रेस को सफलता नहीं मिलने के पीछे एेसा इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि केंद्र में इस समय 273 सदस्यों के साथ भारतीय जनता पार्टी बहुमत में है.

इस क्रम में पार्टी सांसदों ने बृहस्पतिवार को अन्य विपक्षी दलों के नेताओं अपने पार्टी अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी का पत्र सौंपा. इस पत्र में आंध्रप्रदेश के खिलाफ कथित अन्याय पर साथ देने की अपील करते हुए कहा गया है कि अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, तो पार्टी के सांसद सत्र के अंतिम दिन संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे.

अविश्वास प्रस्ताव पेश करने और उसे स्वीकार करने के लिए लोकसभा के कम से कम 50 सदस्यों का हस्ताक्षर जरूरी होता है. खुद वाईएसआर कांग्रेस के पास नौ लोकसभा सदस्य हैं. अगर टीडीपी भी इसमें शामिल हो जाए, तो उसके 16 सदस्यों के साथ कुल संख्या 25 की हो जायेगी. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, अन्नाद्रमुक जैसे बड़े विपक्षी दलों को अहसास है कि आंध्र की अंदरूनी राजनीति में उलझना उनके लिए फायदेमंद नहीं है. ऐसे में इस प्रस्ताव का भविष्य अंधकारमय नजर आता है.

मोदी कैबिनेट से अपने दो मंत्रियों को वापस बुलाने के बाद टीडीपी एनडीए से अलग हो चुकी है. टीडीपी ने शुक्रवार को अहम बैठक बुलायी है, जिसमें एनडीए से अलग होने पर फैसला लिया जा सकता है. शुक्रवार को टीडीपी की धुर विरोधी वाईएस कांग्रेस संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, तेलुगू देशम पार्टी इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है.

आगे की रणनीति तय करने के लिए टीडीपी ने शुक्रवार को सदन की कार्यवाही से पहले पोलितब्यूरो की मीटिंग भी बुलाई है. गौरतलब है कि विवाद इसलिए है क्योंकि टीडीपी पिछले चार सालों से आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही है. यह मांग नए राज्य के निर्माण के साथ ही शुरू हो गई थी लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया था.

नियमों के मुताबिक, सबसे पहले लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन वाईएसआर कांग्रेस के किसी सांसद को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को कहेंगी. जिसके बाद करीब 50 सांसदों को इसका समर्थन करने के लिए खड़ा होना होगा, तभी इसके आगे की प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन इसमें भी एक पेंच है, ये प्रस्ताव तभी पेश हो सकता है कि जब सदन ऑर्डर में हो, अगर कोई सांसद इस दौरान हंगामा कर रहा हो तो प्रस्ताव पेश करने में मुश्किल हो सकती है.

अभी क्या है लोकसभा में स्थिति?

भारतीय जनता पार्टी – 272 + 1 (स्पीकर)

कांग्रेस – 48

AIADMK – 37

तृणमूल कांग्रेस – 34

बीजेदी – 20

शिवसेना – 18

टीडीपी – 16

टीआरएस – 11

सीपीआई (एम) – 9

वाईएसआर कांग्रेस – 9

समाजवादी पार्टी – 7

इनके अलावा 26 अन्य पार्टियों के 58 सांसद

5 सीटें अभी भी खाली हैं.

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