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राज्यसभा चुनाव: नामांकन की प्रक्रिया पूरी, बहुमत से अब भी भाजपा रहेगी दूर

नयी दिल्ली : राज्यसभा की 59 सीटों, जिनमें एक उपचुनाव भी शामिल है, के लिए 23 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख 12 मार्च थी. सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं. भाजपा के 27 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. रिटायर होने वाले सभी आठ केंद्रीय […]

नयी दिल्ली : राज्यसभा की 59 सीटों, जिनमें एक उपचुनाव भी शामिल है, के लिए 23 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख 12 मार्च थी. सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं. भाजपा के 27 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. रिटायर होने वाले सभी आठ केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली यूपी, स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा हिमाचल प्रदेश, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत एमपी, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर महाराष्ट्र, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बिहार, कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और रसायन राज्य मंत्री मनसुख भाई मंडाविया गुजरात से उम्मीदवार बने हैं. इसके अलावा भाजपा के संगठन से भी कई नेता राज्यसभा पहुंचेंगे. पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव राजस्थान, डॉक्टर अनिल जैन यूपी और सरोज पांडे छत्तीसगढ़ से, पार्टी प्रवक्ता अनिल बलूनी उत्तराखंड और जीवीएल नरसिम्हा राव यूपी से, केरल बीजेपी के नेता वी मुरलीधरन महाराष्ट्र से राज्यसभा आयेंगे.

इसके अलावा भाजपा ने दलबदलुओं को भी जमकर राज्यसभा की सदस्यता से नवाज़ा है. महाराष्ट्र में नारायण राणे को उतारा गया. वह शिवसेना से कांग्रेस होते हुए बीजेपी में आए. राजस्थान से किरोड़ी लाल मीणा मैदान में हैं जो दस साल पहले वसुंधरा राजे से नाराज हो कर बीजेपी छोड़ गये थे और दो दिन पहले ही वापस आये.
यूपी में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के लिए विधान परिषद की सीट छोड़ने वाले अशोक वाजपेयी को टिकट दिया गया जो समाजवादी पार्टी से आये. संघ के प्रचारक रहे हरनाथ सिंह यादव सपा के रास्ते फिर घर वापस आये. उन्हें राज्यसभा सीट दी गयी. विजय पाल तोमर जनता दल से सरधना के विधायक रह चुके हैं. बीजेपी में आने के बाद वे किसान मोर्चे के राष्ट्रीय अध्क्ष रह चुके हैं.
भाजपा ने इन नामों से कई समीकरण साधने की कोशिश की है. जातीय समीकरणों के साथ राज्य की राजनीति में गुटों के बीच भी संतुलन साधा गया है.मशहूर उद्योगपति और अब तक भाजपा के समर्थन से राज्यसभा का निर्दलीय चुनाव जीतते रहे कर्नाटक के राजीव चंद्रशेखर को इस बार पार्टी से ही टिकट मिल गया. यूपी में बीजेपी के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर आंखे दिखा रहे थे. उनके सामने चुनौती खड़ी करने के लिए बीजेपी ने अपने पुराने कार्यकर्ता सकलदीप राजभर को टिकट दे दिया जो कुछ साल पहले तक तहसील में मोहर्रिर का काम करते थे.
कांता कर्दम को भी यूपी से टिकट मिला जो महिला जाट नेता हैं लेकिन मेरठ में महापौर का चुनाव हार गयी थीं. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरोधी माने जाने वाले प्रह्लाद पटेल के धुर विरोधी कैलाश सोनी को टिकट दिया गया जो मीसाबंदी संगठन के अध्यक्ष हैं. प्रदेश बीजेपी के महासचिव अजय प्रताप सिंह को भी टिकट दिया गया. राजस्थान से मदन लाल सैनी, हरियाणा से लेफ्टिनेंट जनरल (रि) डी पी वत्स और झारखंड से समीर ऊरांव को टिकट देकर राज्य के जातिगत समीकरण साधे गये हैं. उधर कांग्रेस को भी दस सीटें जीतने की उम्मीद है. उसने सभी उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है.

सिर्फ एक ही मौजूदा सांसद को दोबारा मैदान में उतारा गया. वे हैं अभिषेक मनु सिंघवी जो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की मदद से राज्यसभा पहुंचेंगे. महाराष्ट्र से कई दिग्गज टिकट की कतार में थे लेकिन लॉटरी लगी मशहूर पत्रकार कुमार केतकर की जो टीवी स्टूडियो में कांग्रेस का बचाव करते रहे हैं. गुजरात से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा की चर्चा थी लेकिन पार्टी ने स्थानीय सक्रिय नेताओं को तरजीह दी है. वहां से नारणभाई राठवा और टीवी पर कांग्रेस की नुमाइंदगी करने वाली अमी याज्ञनिक को जगह मिली. चुनावी राज्य कर्नाटक की तीन सीटों पर कई दिग्गज नेताओं की नज़रें थीं लेकिन राज्य इकाई ने स्थानीय चेहरों को ही पसंद किया. वहां से दलित गायक डॉ एल हनुमंथैया, डॉ सैय्यद नासिर हुसैन और वोक्कालिंगा नेता जी सी चंद्रशेखर को टिकट मिला. मध्य प्रदेश से चार बार के विधायक रह चुके राजमणि पटेल को टिकट दिया गया. तेलंगाना से पोरिका बलराम नाइक और झारखंड से दो बार राज्यसभा सांसद रहे धीरज कुमार साहू मैदान में हैं.

इसके अलावा यूपी में एसपी और कांग्रेस के समर्थन से बीएसपी के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर का जीतना तय माना जा रहा है. यूपी में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 37 वोट चाहिए. बीएसपी के 19 विधायक हैं और उसे 18 और चाहिए. सपा के 47 विधायक हैं और जया बच्चन को वोट देकर उसके दस वोट बचते हैं.

सपा ने बीएसपी को समर्थन का ऐलान कर दिया. कांग्रेस के सात और आरएलडी के एक विधायक का वोट मिला कर बसपा उम्मीदवार की जीत तय है. जबकि बीजेपी के पास अपने उम्मीदवारों को जिताने के बाद 28 वोट बचते हैं. अगर चार निर्दलीयों का समर्थन मिले और कुछ विधायक क्रॉस वोटिंग करें तो बीजेपी नौवीं सीट भी जीत सकती है.

बिहार से जेडीयू ने दोनों मौजूदा राज्यसभा सांसदों प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और उद्योगपति महेंद्र प्रताप सिंह को फिर टिकट दिया है. जबकि आरजेडी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा और कटिहार मेडिकल कॉलेज के एमडी अशफाक़ करीम को मैदान में उतारा है. तेलंगाना से टीआरएस ने जे संतोष कुमार, बी प्रकाश मुदिराज और बी लिंगैया यादव को टिकट दिया है. आंध्र प्रदेश से टीडीपी ने उद्योगपति सी एम रमेश को दोबारा टिकट दिया और के रविंद्र कुमार को भी मैदान में उतारा है. जबकि वायएसआर कांग्रेस ने उद्योगपति वी प्रभाकर रेड्डी को टिकट दिया है. केरल से एम पी वीरेंद्र कुमार फिर चुनाव लड़ेंगे. उन्हें एलडीएफ ने समर्थन दिया है. नीतीश कुमार के बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद उनके इस्तीफे से ही यह सीट खाली हुई थी.

महाराष्ट्र में शिवसेना ने अनिल देसाई को फिर मैदान में उतारा है जबकि एनसीपी ने वंदना चव्हाण को फिर मौका दिया है. ओडिशा में बीजेडी ने सौम्य रंजन पटनायक, अच्युत सामंत और प्रकाश नंदा को मैदान में उतारा है. पश्चिम बंगाल से लेफ्ट फ्रंट ने रॉबिन देब को जबकि ममता बनर्जी ने नदीमुल हक, सुभाशीष चक्रवर्ती, अबीर विश्वास और डॉ शांतनु सेन को टिकट दिया है.

राज्यसभा की तस्वीर बदलेगी
इन चुनावों में भाजपा को फायदा मिलने की संभावना है. हालांकि एनडीए राज्यसभा में बहुमत से फिर भी दूर ही रहेगा. 59 सीटों में से भाजपा 28 सीटें जीतेगी यानी उसे करीब दस सीटों का फायदा होगा. तीन मनोनीत सांसदों अनु आगा, रेखा और सचिन तेंडुलकर का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है. यह तीन भी एनडीए के खाते में जाएंगे. अभी राज्यसभा में 239 सांसद हैं जिनमें एनडीए के पास 83 सांसद हैं. बहुमत का आंकड़ा 121 है. इस चुनाव के बाद तस्वीर बदलेगी. एनडीए के खाते में 12 सांसद जुड़ेंगे. अगर तीन मनोनीत को भी मिला दिया जाये तो एनडीए 100 के करीब यानी 98 तक पहुंच जायेगा. हालांकि बहुमत से फिर भी दूर ही रहेगा. यानी मोदी सरकार के इस कार्यकाल में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां राज्यसभा में बहुमत से दूर ही रहेंगी और उन्हें महत्वपूर्ण बिलों को पास कराने के लिए बीजेडी और एआइएडीएमके जैसे दलों की मदद चाहिए होगी.

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